केरल में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कॉन्ग्रेस का ‘इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML)’ के साथ सीट शेयरिंग फॉर्मूला फाइनल कर लिया गया है। दोनों पार्टियों ने सीट शेयरिंग पर भी सहमति बना ली है। निर्णय लिया गया कि जहाँ कॉन्ग्रेस पार्टी 95 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, वहीं मुस्लिम लीग 26 सीटों पर ताल ठोकेगी। वहीं केरल कॉन्ग्रेस (जोसफ) को 9 सीटें दी गई हैं। केरल में विधानसभा की कुल 140 सीटें हैं।
कॉन्ग्रेस पार्टी और मुस्लिम लीग के गठबंधन ने इसके अलावा RSP (रेवोलुशनरी सोशलिस्ट पार्टी) को भी 5 सीटें दी गई हैं। वहीं केरल कॉन्ग्रेस (जैकब), कम्युनिस्ट मार्क्सिस्ट पार्टी (CMP केरल) और फॉरवर्ड ब्लॉक, नेशनलिस्ट कॉन्ग्रेस केरल को एक-एक सीट दी गई है। बुधवार (मार्च 3, 2021) को होने वाली UDF की बैठक में सीट शेयरिंग के आँकड़ों पर आधिकारिक रूप से मुहर लगा दी जाएगी और सार्वजनिक ऐलान कर दिया जाएगा।
पिछले चुनाव में कॉन्ग्रेस ने 87 और मुस्लिम लीग ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था। अप्रैल 6 को केरल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसके लिए अब मात्र 1 महीने से कुछ ज्यादा का समय बचा है। केरल में विश्लेषकों के हिसाब से फ़िलहाल सत्ताधारी LDF मजबूत दिख रही है लेकिन पिनराई विजयन की सरकार गिराने के लिए UDF में ओमान चांडी, रमेश चेन्निथला और मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने आपसी मतभेद भुला कर एक होने का फैसला लिया है।
Congress has allied with the IUML in Kerala. No wonder he finds that setup much more sanguine.
The IUML is a successor party of Jinnah’s AIML. https://t.co/4HyMMu1ior
— Harsh Gupta Madhusudan (@harshmadhusudan) February 23, 2021
राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी केरल के चुनाव प्रचार में सक्रियता से हिस्सा ले सकते हैं और राहुल ने उत्तर-दक्षिण वाला बयान देकर इसकी शुरुआत भी कर दी है, जिसका उनकी ही पार्टी के कई नेताओं ने विरोध किया है।
राहुल गाँधी वायनाड से सांसद हैं और वहाँ उन्हें जिताने में मुस्लिम लीग की भी बड़ी भूमिका रही है। IUML ने सामान्य वर्ग के गरीबों को 10% आरक्षण देने का भी विरोध किया था।
केरल की सरकार सोना तस्करी से लेकर कई अन्य मुद्दों पर घिरी हुई है। वहीं इस बार भाजपा भी लड़ाई में तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश में है, जिसे ई श्रीधरन और जैकब थॉमस जैसी हस्तियों को अपने पाले में किया है।
भाजपा के पास जमीनी कैडर भी है। लेकिन, केरल यूनिट में आंतरिक कलह के कारण दिल्ली आलाकमान को हस्तक्षेप करना पड़ता है। हाल ही में पीएम मोदी की केरल के कई ईसाई संगठनों के साथ भी बैठक हुई है।