अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के पर्सविरन्स रोवर ने गुरुवार (फरवरी 18, 2021) को मंगल ग्रह की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। तय समय के दौरान इस रोवर ने कम से कम 472 मिलियन किमी का सफर तय किया, वो भी 19000 किमी प्रति घंटा की स्पीड से। जब रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर लैंडिग की तब एक भारत से जुड़ी आवाज ने इसकी हर जानकारी दी।
ये आवाज भारतीय-अमेरिकन वैज्ञानिक स्वाति मोहन की थी। उन्होंने बताया, “मैंने ऑपरेशन के दौरान मंगल 2020 का एटिट्यूड कंट्रोल सिस्टम का नेतृत्व किया, और पूरे डेवलपमेंट तक लीड सिस्टम इंजीनियर रही। एटिट्यूड कंट्रोल सिस्टम उस व्हेकिल को देखता है जहाँ उसे होना चाहिए और यह भी पता लगाने में मदद करता है कि अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष में कहाँ जा रहा है।”
“The spacecraft @NASAPersevere is currently transmitting heartbeat tones — these tones indicate that Perseverance is operating normally.”
Swati Mohan, @NASAJPL engineer on the rover’s landing team, provides a status update on the #CountdownToMars: pic.twitter.com/D1Tx9BEYld
— NASA (@NASA) February 18, 2021
नासा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, स्वाति मोहन का परिवार संयुक्त राज्य अमेरिका में तब गया था जब वह सिर्फ एक साल की थीं। उन्होंने 2000 में मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के लिए कॉर्नेल विश्वविद्यालय में एडमिशन लेने से पहले उत्तरी वर्जीनिया/वाशिंगटन डीसी मेट्रो क्षेत्र में अपना बचपन बिताया।
अपने ग्रेजुएशन के बाद, स्वाति मोहन ने 2010 में एयरोस्पेस, एरोनॉटिकल और एस्ट्रोनॉटिकल इंजीनियरिंग में Massachusetts Institute of Technology (एमआईटी) से एमएस और पीएचडी पूरी की।
जानकारी के अनुसार नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में 2004 और 2005 के बीच सिस्टम इंजीनियर के रूप में काम करते हुए स्वाति मोहन ने 2005 में MIT में पीएचडी कार्यक्रम में दाखिला लिया था। अपनी पीएचडी पूरी होने के बाद, वह एक गाइडेंस नेविगेशन और कंट्रोल सिस्टम इंजीनियर के रूप में फिर से नासा में शामिल हो गईं। उन्होंने कैसिनी मिशन और GRAIL के ऊपर काम किया है। उसके बाद 2013 से वह MARS प्रोजेक्ट पर हैं।
बताया जाता है कि स्वाति शुरू में बाल रोग विशेषज्ञ बनना चाहती थीं, लेकिन अंत में वह नासा पहुँच गईं। इसके बारे में उन्होंने बताया, “मुझे अंतरिक्ष में हमेशा दिलचस्पी थी, लेकिन मुझे उस रुचि को नौकरी में बदलने के अवसरों के बारे में वास्तव में नहीं पता था। जब मैं 16 साल की थी, तब मैंने अपनी पहली फिजिक्स की क्लास ली। मैं भाग्यशाली थी कि मेरे पास एक महान शिक्षक थे, और सब कुछ समझना इतना आसान था। तभी मैंने वास्तव में इंजीनियरिंग को अंतरिक्ष तक पहुँचने का रास्ता माना था।”
अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए, वह कहती हैं, “मुझे याद है 9 साल की उम्र में मैंने ‘स्टार ट्रेक’ को पहली बार देखा। जहाँ अंतरिक्ष के सुंदर चित्रण वाले क्षेत्रों को खंगाला जा रहा था।” वह कहती हैं कि उन्हें याद है कि उन्होंने उस समय सोचा कि वह भी ऐसा करना चाहती हैं, वह भी ब्रह्माण के नए सुदर क्षेत्रों को खोजना चाहती हैं।
वह कहती है कि अंतरिक्ष इतना व्यापक है कि अभी हमने बस सीखना ही शुरू किया है। उनके अनुसार वह गाइडेंस, नेविगेशन और कंट्रोल सबसिस्टम व अन्य मंगल परियोजना के बीच कम्युनिकेशन के दौरान प्रमुख बिंदु थीं। इसके अलावा टीम को प्रशिक्षित करने, GN&C टीम के लिए नीतियों और प्रक्रियाओं को पूरा करने और मिशन नियंत्रण स्टाफिंग को शेड्यूल करने में भी शामिल है।
वह कहती हैं, “GN & C सबसिस्टम अंतरिक्ष यान की ‘आँख और कान’ है … मंगल पर प्रवेश, अवरोहण और लैंडिंग के दौरान, GN & C अंतरिक्ष यान की स्थिति निर्धारित करता है और लैंडिंग को सुरक्षित रूप से करने के लिए आदेश देता है।”