आर्मेनिया ने उठाई पाकिस्‍तान को एफएटीएफ की काली सूची में डाले जाने की मांग, जानें क्‍या कहा

काबुल। पाकिस्तान आतंकवादियों को प्रश्रय देने वाला देश है। इसकी पुष्टि पत्रकार डेनियल पर्ल के हत्यारे अलकायदा आतंकी उमर सईद शेख को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरी किए जाने से होती है। अफगानिस्तान टाइम्स में गफूर अहमद द्वारा लिखे गए लेख में फैसले को न्याय का क्रूर मजाक बताया गया है। साथ ही कहा गया है कि इससे यह संकेत मिलता है कि पाक सेना आतंकियों की सुरक्षा के लिए हमेशा उनके साथ खड़ी है।

उधर, अमेरिका स्थित आर्मेनियाई समुदाय ने वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) से इस्लामाबाद को काली सूची में डालने की मांग की है। बता दें कि आर्मेनिया लंबे समय से यह आरोप लगाता रहा है कि उसके खिलाफ लड़ने के लिए इस्लामाबाद जेहादी आतंकियों को मनी लांड्रिंग के माध्यम से फंड उपलब्ध कराता है।

गफूर ने कहा कि शेख पाकिस्तानी अदालतों द्वारा रिहा किया जाने वाला पहला आतंकवादी नहीं है। लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख और वैश्विक आतंकी हाफिज सईद को कई बार सुबूतों के अभाव में रिहा किया जा चुका है। ये उदाहरण दिखाते हैं कि सेना के पक्ष में शीर्ष न्यायपालिका किस तरह से लंबे समय से काम कर रही है। शेख के बरी होने से पता चलता है कि सेना अपने लोगों की रक्षा के लिए किस हद तक जा सकती है।

वर्ष 2002 में कराची में ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख पर्ल (38) का उस समय अपहरण कर लिया गया था, जब वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ और अलकायदा के बीच संबंधों पर एक खबर के लिए जानकारी जुटा रहे थे। इसके बाद सिर कलम करके उनकी हत्या कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य अभियुक्त उमर सईद शेख और उसके सहयोगियों फहद नसीम, शेख आदिल और सलमान साकिब को सिंध हाईकोर्ट द्वारा बरी करने के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया था। पर्ल के परिवार ने इस फैसले को न्याय का मजाक बताया था।