‘दुर्गन्ध इतनी कि साँस भी नहीं, रेडियो-एक्टिव डिवाइस है कारण’ – चमोली आपदा पर रैणी गाँव के लोग

उत्तराखंड के चमोली में आई आपदा के कारणों को लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही हैं। जहाँ पहले ग्लेशियर फटने को इसका कारण बताया जा रहा है, वहीं ISRO के सैटेलाइट डेटा कहते हैं कि हिमस्खलन के कारण ऐसा हुआ। अब रैणी गाँव के लोगों में चर्चा है कि इसके पीछे किसी रेडियो एक्टिव-डिवाइस का हाथ हो सकता है। दरअसल, आशंका जताई जा रही है कि ये वही रेडियो-एक्टिव डिवाइस है, जो 1965 में एक खोजी दल के पास थी और गुम हो गई थी।

ये खोजी अभियान नंदा देवी पर्वत पर चल रहा था। कहा जा रहा है कि हीट प्रोड्यूस करने वाले इसी डिवाइस के कारण ये घटना हुई है, जिससे पूरे तपोवन क्षेत्र में तबाही आई। 1965 में अमेरिका की CIA और भारत की IB ने न्यूक्लियर पॉवर वाले सर्विलांस इक्विपमेंट नंदा देवी पर्वत पर स्थापित किया था। चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ऐसा किया गया था। हालाँकि, पर्वतारोहियों की टीम एक बर्फीली तूफ़ान में फँस गई, जिससे उन्हें डिवाइस को वहीं छोड़ कर वापस लौटना पड़ा।

इसके एक वर्ष बाद वो फिर से वहाँ लौटे, लेकिन उन्हें वो यंत्र नहीं मिला। खोजी अभियान चला, लेकिन फिर भी कुछ थाह नहीं लगा। चूँकि उस यंत्र की जीवन अवधि 100 वर्ष है, वो अभी भी सक्रिय हो सकता है। रविवार (फरवरी 7, 2021) को आई आपदा के कारण ऋषिगंगा नदी में भयंकर उफान आया और वो रास्ते में आने वाली हर चीज को बहाती चली गई। जुगजु गाँव की एक महिला ने बताया कि दुर्गन्ध इतनी तगड़ी थी कि लोग साँस नहीं ले पा रहे थे।

महिला का ये भी कहना है कि अगर ये सिर्फ बर्फ और बर्फीले कचरों के कारण होती, तो वो इस तरह से नहीं होती। वहाँ के बुजुर्गों ने अपनी अगली पीढ़ी को उस रेडियो एक्टिव डिवाइस के बारे में बता रखा है, ऐसे में लोगों में आशंकाओं का बाजार गर्म है। TOI की खबर के अनुसार, ग्रामीणों को आशंका थी कि उस यंत्र के कारण एक दिन सभी बह जाएँगे। लोग सरकार से उस यंत्र का थाह-पता लगाने की माँग कर रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि उस यंत्र के पास क्षमता है कि वो गर्मी पैदा कर के बर्फ और पानी को प्रभावित कर सके, लेकिन उसे एक सील किए गए चैंबर में होना चाहिए क्योंकि इससे वो इस तरह से काम नहीं कर सकता। हर कुछ वर्ष पर कई एजेंसियाँ यहाँ की प्रकृति के अध्ययन के लिए सर्वे करती है अंतिम सर्वे 2016 में हुआ था। 2018 में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने भी उस डिवाइस को प्रदूषण का कारण बताया था।

चमोली में राहत कार्य अभी भी जारी है और अब तक 32 लाशें बरामद हुई है। गायब लोगों की कुल संख्या 197 है। भारतीय सेना, ITBP, NDRF, और SDRF के 600 कर्मी राहत-कार्य में लगे हुए हैं। राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि राशन वितरण, स्वास्थ्य सेवा और कनेक्टिविटी को सुचारु करने के लिए प्रयास जारी है। 2.5 किलोमीटर के HRT टनल में अभी भी 30-35 लोग फँसे हैं, जिन्हें निकालने के लिए प्रयास जारी है।