आप में से काफी लोगों को रूस में हिन्दू समुदाय द्वारा सामना की जा रही परेशानियों के बारे में पता होगा, क्योंकि ऑपइंडिया ने इस मामले को बार-बार उठाया है। हमने इसी सिलसिले में गुरु श्री प्रकाश जी के सुपुत्र प्रसून प्रकाश से बातचीत भी की थी, जिन्होंने अलेक्जेंडर दोर्किन द्वारा हिन्दुओं को प्रताड़ित किए जाने के बारे में बताया था। इस लेख में भी हम उस पर बार करेंगे, लेकिन उससे पहले चीजों को संक्षेप में समझते हैं। रूस 14.4 करोड़ की जनसंख्या वाला एक विशाल देश है।
रूस में 1.4 लाख हिंदू हैं। आश्चर्यजनक यह है कि वहाँ सिर्फ 10000 ही भारतीय मूल के नागरिक हैं। यानी कि लगभग 1 लाख 30 हजार हिंदू वहाँ के यानी रूसी मूल के हैं। ये हमारे लिए काफी गर्व की बात है। आखिर वहाँ रह रहे हिन्दुओं में 92% रूसी ही जो हैं। ये हिन्दू धर्म के प्रति दुनिया की समझ को दर्शाता है। रूस का एक कट्टर और कुख्यात ईसाई अलेक्जेंडर दोर्किन लगातार हिन्दुओं एवं गुरु प्रकाश को निशाना बना रहा है।
वो पिछले 20 वर्षों से रूस के हिन्दुओं को परेशान करने में लगा हुआ है। उसने ही 2011 में पवित्र पुस्तक भगवद्गीता पर प्रतिबंध लगा दिया था। श्री प्रकाश जी रूस में क्लासिकल हिंदुत्व को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। उनके समर्थन में 2017 में दिल्ली स्थित रूसी दूतावास के सामने कई लोगों ने प्रदर्शन भी किया था। उनके और उनके परिवार को पिछले 6 वर्षों से परेशान किया जा रहा है। 2015 में इस तरह का पहला हमला हुआ था।
अलेक्जेंडर दोर्किन ने अफवाहों और झूठी खबरों के सहारे रूस के हिन्दुओं को परेशान करना शुरू किया है। वो उनके खिलाफ शिकायतें दर्ज करवाता है और झूठे आरोप लगाता है, जिससे वो हिन्दू धर्म को छोड़ने के लिए विवश हो जाएँ। इसी तरह के एक पीड़ित रूसी नागरिक हैं सर्गेई केवशिन, जो 2006 से ही एक हिन्दू श्रद्धालु हैं। उन्होंने हाल ही में दोर्किन द्वारा एक फोरम पर हिंदुत्व को लेकर लिखे गए आपत्तिजनक बयानों का खुलासा किया, जैसे –
- सारे हिन्दू देवी-देवता शैतान हैं।
- हिन्दुओं की ध्यान-कला सिर्फ एक सम्मोहन है।
- शैतान के कानून को ‘कर्मा’ कहते हैं।
- मीराबाई एक सांप्रदायिक महिला थीं।
- भगवान को हिन्दू जिस रूप में देखते हैं, ये अशुभ है।
- श्रीमद्भगवद्गीता किसी भी मामले में पवित्र नहीं है।
इसी तरह के और कई बयान भी उसने दिए हैं। इसके बाद सर्गेई ने अलेक्जेंडर दोर्किन के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज कराई हैं, जिनके आधार पर रूस के प्रशासन ने उसके खिलाफ जाँच भी बिठाई थी। 2020 में उसके खिलाफ जाँच हुई थी। अब भी कई मामलों में तहकीकात जारी है। दोर्किन जाँच व पूछताछ से न सिर्फ भाग रहा है, बल्कि सर्गेई के खिलाफ उसने एक झूठी शिकायत भी दर्ज करा दी है।
सर्गेई ने ऑपइंडिया को बताया कि ऐसा हिन्दू धर्म को बदनाम करने के लिए और रूसी प्रशासन को भटकाने के लिए किया जा रहा है, ताकि वो कार्रवाई से बच निकले। सर्गेई ने हाल ही में यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड कर के अंतरराष्ट्रीय हिन्दू समुदाय को इस अन्याय के खिलाफ उनका साथ देने की अपील की थी, खासकर भारत के नागरिकों को। अगर किसी भारतीय नागरिक के पास इससे जुड़े कोई सबूत या दस्तावेज हैं तो वो सीधे उन्हें भेज सकता है। उन्होंने वीडियो में कहा:
“मेरा जन्म मॉस्को में हुआ था और मैं रूस के 1.4 लाख हिन्दुओं में से एक हूँ। हिन्दू देवी-देवताओं को शैतान कहने वाले और हिन्दुओं को जंगली कहने वाले को आप क्या प्रतिक्रिया देंगे? अलेक्जेंडर दोर्किन हिन्दुओं को रूस छोड़ देने अथवा परिणाम भुगतने की धमकी दे रहा है। वो अपने लेक्चरों, इंटरव्यूज और लेखों के माध्यम से दो दशक से हिन्दू धर्म को बदनाम करने में लगा हुआ है। मुझे उम्मीद है कि रूस के हिंदुओं को और मुझे न्याय मिलेगा।”
रूस के प्रशासन ने सर्गेई को कहा है कि उन्हें अलेक्जेंडर दोर्किन के खिलाफ कार्रवाई के लिए कुछ और सबूत या दस्तावेज मुहैया कराने होंगे, जो उसके खिलाफ जाते हों। उन्होंने अपना ईमेल अड्रेस ‘[email protected]‘ बताते हुए हिंदुओं से कहा है कि अगर उनके पास कोई भी जानकारी है तो उन्हें प्रेषित करें। उन्होंने ‘नमस्ते’ और ‘जय श्री राम’ के साथ वीडियो का अंत करते हुए इस मामले में न्याय के लिए हिन्दू एकता की वकालत की।
इससे पहले प्रसून प्रकाश ने बताया था, “लगभग चार साल पहले मेरा परिवार और हमारा आश्रम (श्री प्रकाश धाम) राष्ट्रवादी रूढ़िवादी ईसाई गुंडों (कुछ हद तक ईसाई भारतीय हिन्दू समूहों के ईसाई के समान, अगर ऐसा कहना सही है) का शिकार हो गया।” इस बात की पुष्टि के लिए उन्होंने उन लेखों का ज़िक्र किया, जिसमें इस घटना का उल्लेख किया गया था। यह लेख ‘न्यूज़वीक’ और ‘डेली कॉलर’ में छपे थे।
आध्यात्मिक गुरू श्री प्रकाश ने हिंदू धर्म की इस अवहेलना को जब चुनौती दी, तो अलेक्जेंडर दोर्किन ने उन्हें और उनके परिवार को ‘विदेशी मैल’ तक कहा। 1 नवंबर 2018 को कुछ रूसी असामाजिक तत्वों ने पुलिस के कपड़े पहन कर उनके आश्रम में अनाधिकृत छापेमारी भी की थी। उन लोगों के साथ वहाँ की पुलिस ने श्री प्रकाश को रूस छोड़ने का दबाव बनाया और कभी वापस न लौटने को कहा।