नई दिल्ली। दिल्ली स्थित इजरायली दूतावास के नज़दीक शुक्रवार (29 जनवरी 2021) को बम धमाका हुआ था। फॉरेंसिक जाँच में पता चला कि इजरायली दूतावास पर हमले के लिए ब्लैक पाउडर का इस्तेमाल किया गया था।
जाँच के दौरान एक लिफ़ाफ़े में पत्र बरामद किया गया जो ‘इजरायली दूतावास के दूत’ के लिए लिखा गया था। पत्र में धमकी दी गई थी कि ये धमाका तो सिर्फ ‘ट्रेलर’ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक़ इस धमकी भरे ख़त में मारे गए ईरानी क़ुद्स फ़ोर्स (Quds Force) के मुखिया जनरल कासिम सुलेमानी और परमाणु वैज्ञानिक (nuclear scientist) डॉ. मोहसिन फकरीज़देह का संदर्भ दिया हुआ था।
कासिम सुलेमानी IRGC (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉप्स) या क़ुद्स फ़ोर्स का ईरानी कमांडर था और बग़दाद में जनवरी 2020 के दौरान अमेरिकी सेना के अभियान में मारा गया था। वहीं ईरानी परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन की हत्या तेहरान के बाहरी इलाके में 62 मेंबर स्क्वाड ने की थी। यह पहला ऐसा मौक़ा नहीं जब भारत में इजरायली दूतावास पर हमला हुआ है।
13 फरवरी 2012 को दिल्ली में इजरायली राजनयिक की कार में धमाका किया गया था। दो बाइक सवार हमलावरों ने इजरायली राजनयिक की पत्नी (Tal Yehoshua Koren) की गाड़ी में बम चिपका दिया था। इस हमले में भी क़ुद्स फ़ोर्स जिसे IRGC के नाम से जाना जाता है, उसका नाम सामने आया था। इजरायली राजनयिक की कार में हुए बम धमाकों की घटना में 4 लोग घायल हुए थे।
ईरानी वैज्ञानिक की हत्या के ठीक बाद इजरायली राजनयिक की हत्या का प्रयास हुआ था। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान को इस धमाके के लिए जिम्मेदार ठहराया था। संयोग से यह हमला ईरान समर्थित शिया लेबनानी समूह और हिजबुल्ला नेता इमद मुगनियेह (Imad Mughniyeh) की हत्या की तिथि से भी मेल खाता था।
भारतीय पत्रकार की हमले में अहम भूमिका?
इजरायली राजनयिक पर हुए हमले की जाँच में दिल्ली पुलिस ने पाया कि यह IRGC का काम है। दिल्ली पुलिस की जाँच में यह बात भी सामने आई थी कि IRGC के सदस्यों ने इस हमले की योजना पर भारतीय पत्रकार सैयद मोहम्मद अहमद काज़मी के साथ चर्चा की थी। खुलासे के मुताबिक़ अहमद काज़मी पिछले 10 सालों से IRGC सदस्यों के संपर्क में था।
एक लंबी जाँच के बाद दिल्ली पुलिस ने ‘पत्रकार’ अहमद काज़मी को बाइक सवार हमलावरों की मदद करने के लिए गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अहमद काज़मी को साज़िश में शामिल होने के आरोप में गैर क़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के अंतर्गत गिरफ्तार किया। इतना ही नहीं वह इजरायली राजनयिकों को निशाना बनाने के लिए साज़िश के तहत ख़ुफ़िया तरीके से काम कर रहा था।
पूरे मामले में एक और रोचक बात ये है कि विवादित एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया की मुखिया सीमा मुस्तफ़ा काज़मी के समर्थन में उतर आई थीं। इनके मुताबिक़ इजरायली राजनयिक पर हुए हमले के मामले में अहमद काज़मी निर्दोष था।
कौन है सैयद मोहम्मद अहमद काज़मी
उत्तर प्रदेश स्थित मेरठ के निवासी सैयद मोहम्मद अहमद काज़मी ने अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत 1983 में ईरानी ब्रॉडकास्टर के अंतर्गत ईरान रिपब्लिक न्यूज़ एजेंसी (IRNA) के दिल्ली कार्यालय से की थी। काज़मी की अरबी और फारसी भाषा पर मज़बूत पकड़ थी। नतीजतन उसे खाड़ी के देशों की ख़बरों का अनुवाद करने में कोई परेशानी नहीं होती थी।
कुछ सालों बाद काज़मी की रूचि पश्चिमी एशिया में बढ़ी। ख़ासकर ईरान, ईराक और इजरायल। ईरानी मीडिया समूह में 7 साल लगातार काम करने के बाद ‘मीडिया स्टार’ नाम से अपना मीडिया समूह शुरू किया जो कि पश्चिमी एशिया की ख़बरों पर केन्द्रित था। एक छोटे कार्यकाल के बाद उसने 1993 दूरदर्शन में बतौर प्रस्तोता काम शुरू किया और वहाँ उर्दू ख़बरें पढ़ता था।
दूरदर्शन के कार्यकाल के दौरान काज़मी ‘वर्ल्ड व्यू इंडिया’ (World View India) नाम के साप्ताहिक विदेश मामलों से जुड़े कार्यक्रम का हिस्सा था। सबा नकवी के पिता और पत्रकार सईद नकवी के मुताबिक़ काज़मी को उस क्षेत्र के बारे में अद्भुत जानकारी थी और उसके संपर्क भी काफी ज़्यादा थे। नकवी ने काज़मी के साथ मिल कर दूरदर्शन के इस कार्यक्रम को प्रोड्यूस किया था और दोनों साथ में कई विदेशी असाइनमेंट पर भी गए थे।
पुलिस के मुताबिक़ काज़मी का ईरान में गहरा नेटवर्क था। तत्कालीन दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीके गुप्ता ने इस मामले में एक बड़ा खुलासा किया था। उनका कहना था कि पूछताछ में काज़मी ने खुलासा किया था कि उसने इजरायली दूतावास की रेकी के लिए ईरानियों की भरपूर मदद की थी। काज़मी ईरानी मूल के सैयद अली सदर मेहँदी की मदद से हौशन अफशर से मिला था, जिसने इजरायली दूतावास के आस-पास रेकी की थी। इसके लिए इन लोगों ने स्कूटी का इस्तेमाल किया था। इस रेकी के दौरान उसने इजरायली राजनयिकों को निशाना बनाने का फैसला लिया था। हैरानी की बात है कि काज़मी के परिवार वालों ने भी उसके ईरान समर्थक स्टैंड को खारिज नहीं किया।
सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में अहमद काज़मी को जमानत पर रिहा कर दिया था, लेकिन विदेश जाने पर रोक लगाई थी। वह अभी तक जमानत पर आज़ाद घूम रहा है। फ़िलहाल ‘मीडिया स्टार वर्ल्ड‘ नाम का यूट्यूब चैनल चलाता है, जिसमें वह पश्चिमी एशिया के मुद्दों पर बात करता है। उसकी लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक़ वह ‘कौमी सलामती’ नाम के उर्दू अखबार का सम्पादक भी है। अक्टूबर 2012 में जमानत मिलने के बाद वह अखबार का सम्पादक बना था। कॉन्ग्रेस की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. शीला दीक्षित भी अखबार के लॉन्च पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थीं।
दिल्ली स्थित इजरायली दूतावास पर बम धमाका
दिल्ली स्थित इजरायली दूतावास के पास शुक्रवार (जनवरी 29, 2021) शाम धमाका हुआ था। कम तीव्रता वाले इस धमाके में कोई हताहत नहीं हुआ था लेकिन कुछ गाड़ियों के शीशे टूट गए थे। इसके बाद पूरी राजधानी को अलर्ट पर रखा गया था। एयरपोर्ट, सरकारी इमारतों और अहम जगहों की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी।