भिखीविंड (तरनतारन)। दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर केसरिया झंडा लगाने वाला युवक जुगराज सिंह तरनतारन के गांव वां तारा सिंह का रहने वाला है। परिवार और ग्रामीणों ने टीवी और सोशल मीडिया पर चल रहे वीडियो से उसकी पहचान कर ली है। बताया जा रहा है कि पुलिस ने भी परिवार से पूछताछ की है। जुगराज सिंह के पिता बलदेव सिंह, मां भगवंत कौर अपनी तीनों बेटियों के साथ भूमिगत हैं।
माता-पिता तीन बेटियों के साथ घर से लापता हुआ
जुगराज सिंह के दादा महिल सिंह और दादी गुरचरण कौर ने दैनिक जागरण से बातचीत में माना कि लाल किले पर केसरिया झंडा लगाने वाला उन्हीं का पोता है। उन्होंने कहा कि हमारा परिवार बॉर्डर से सटी कंटीली तार के पास खेती करता है। उसके परिवार का कोई भी सदस्य किसी गैर सामाजिक गतिविधि में शामिल नहीं रहा है।
जुगराज के बारे में जानकारी देते ग्रामीण।
दादी गुरचरण कौर ने कहा कि जुगराज गांव के गुरुद्वारों में निशान साहिब पर चोला साहिब चढ़ाने की सेवा करता था। गांव में छह गुरुद्वारा साहिब हैं। यहां पर निशान साहिब पर जब भी चोला साहिब चढ़ाना होता था तो जुगराज सिंह ही यह काम करता था। उसने जोश में आकर दिल्ली के लाल किले पर झंडा चढ़ा दिया होगा।
निशान साहिब पर चोला साहिब चढ़ाने में माहिर है जुगराज
उसके इस कृत्य से गांव के लोग भी हैरान हैं। ग्रामीण प्रेम सिंह ने बताया कि जुगराज सिंह मैट्रिक पास है। 24 जनवरी को गांव से दो ट्रैक्टर ट्रालियां किसान आंदोलन के लिए दिल्ली रवाना हुई थीं। जुगराज सिंह भी इनके साथ दिल्ली चला गया था। 26 जनवरी को टीवी पर खबर देखकर हैरानी हुई कि लाल किले पर केसरिया झंडा लगाने वाला युवक जुगराज सिंह उन्हीं के गांव का है।
ग्रामीण साधा सिंह, गुरसेवक सिंह और महिंदर सिंह का कहना है कि किसान आंदोलन के दौरान मुकम्मल तौर पर शांति रहनी चाहिए थी। कुछ शरारती लोगों ने यह गलत हरकत की है। दादा महिल सिंह ने बताया कि परिवार के पास दो एकड़ जमीन है। तीन भैंसें और एक गाय भी रखी है। ट्रैक्टर कई वर्षो से खराब पड़ा। परिवार पर चार लाख का कर्ज भी है।
पुलिस ने की थी परिवार से पूछताछ
26 जनवरी की रात को दस बजे पुलिस की टीम जुगराज सिंह के घर पहुंची थी और परिवार से पूछताछ भी की थी। पूछताछ के दौरान जुगराज सिंह के पिता बलदेव सिंह ने सिर्फ यह बताया कि उसका बेटा किसान आंदोलन में शामिल होने लिए दिल्ली गया था। वह ढाई वर्ष पहले चेन्नई स्थित निजी कंपनी में काम करने गया था, लेकिन पांच माह बाद ही लौट आया था। इसके बाद खेती का काम देखने लगा।
सूत्रों के अनुसार इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस करेगी। कहा जाता है कि यह मामला कट्टरपंथियों से भी जुड़ा हो सकता है। एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि मामला खालिस्तान आंदोलन से तो नहीं जुड़ा, यह भी जांच की जा रही है।