नई दिल्ली। रिपब्लिक डे पर दिल्ली में किसान आंदोलन ने जो हिंसक रूप लिया वो बेहद परेशान करने वाला रहा । किसानों की ट्रैक्टर रैली कब हिंसा और उत्पात में बदल गई समझ नहीं आया, दिल्ली की सड़कों पर उग्र किसानों ने जमकर हंगामा काटा । इस हिंसक आंदोलन से किसानों का एक बड़ा धड़ा नाराज है, और प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा का विरोध कर रहा है । आरोप है कि कुछ चुनिंदा लोग इस आंदोलन को हिंसक बनाने पर तुले हैं । भड़काने वाले किसान नेताओं में एक नाम दीप सिद्धू का भी सामने आ रहा है ।
दीप सिद्धू की उम्र 36 साल है, वो पंजाबी फिल्मों में बतौर एक्टर काम करता है । मुक्तसर जिले के रहने वाले दीप सिद्धू ने लॉ की पढ़ाई की है । इसके बाद किंगफिशर मॉडल हंट अवार्ड जीता । साल 2015 में दीप सिद्धू की पहली पंजाबी फिल्म ‘रमता जोगी’ रिलीज हुई थी । हालांकि वो मशहूर हुआ 2018 में आई फिल्म जोरा दास नुम्बरिया ।
दरअसल देश में पिछले कुछ महीनों से चल रहे किसान आंदोलन को कुछ एक्टिविस्ट और कलाकारों ने 25 सितंबर के दिन अपना समर्थन देने का फैसला लिया था, दीप सिद्धू भी उन्हीं कलाकारों में से एक था । सिद्धू ने किसानों के साथ धरने पर बैठने का निर्णय लिया । माहौल समझ आया तो दीप ने स्थायी तौर पर धरना देने का निर्णय कर लिया । दीप सिद्धू इसके बाद से सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहा, अपने सोशल मीडिया पर वो अपने फैंस से किसानों की समस्या को उठाने की अपील करने लगा ।
हालांकि किसानों ने दीप सिद्धू की भागीदारी का तब विरोध भी किया । दीप की नरेंद्र मोदी और सनी देओल के साथ एक तस्वीर के आधार पर उन्हें आरएसएस और भाजपा का एजेंट भी कहा । खास बात ये कि साल 2019 में जब एक्टर सनी देओल को गुरुदासपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका मिला था, तो उनके चुनाव कैंपेन की टीम में दीप सिद्धू को भी रखा गया था । हालांकि लाल किले पर हुई हिंसक घटना के बाद सनी देओल ने एक ट्वीट करते हुए कहा है ‘मेरा या मेरे परिवार का दीप सिद्धू से कोई संबंध नहीं है।’
योगेन्द्र यादव ने जताई नाराजगी
दीप सिद्धू के किसान आंदोलन में शामिल होने की बात पर योगेंद्र यादव ने मीडिया से कहा कि ‘हम शुरुआत से ही उसका (दीप सिद्धू) का विरोध कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि दीप सिद्धू और गैंगेस्टर से नेता बने लखा सिधाना ने पिछली रात सिंघु बॉर्डर पर भी किसानों को भड़काने की कोशिश की । इस बात की जांच होनी चाहिए कि किस प्रकार एक माइक्रोफोन के साथ दीप सिद्धू लाल किले तक पहुंच गया।’ वहीं इस पूरे प्रकरण के बाद सिद्धू ने फेसबुक पर आकर कहा- ‘हमने प्रदर्शन के अपने लोकतांत्रिक अधिकार के तहत निशान साहिब का झंडा लाल किले पर फहराया लेकिन भारतीय झंडे को नहीं हटाया गया।’