काठमांडू। चुनाव आयोग ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के दोनों गुटों को मान्यता देने से इन्कार कर दिया है। आयोग का कहना है कि दोनों ही गुट राजनीतिक दल अधिनियम-2017 और पार्टी कानून का पालन करने में विफल रहे हैं। गत वर्ष 20 दिसंबर को तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा संसद के निचले सदन को भंग करने के दो दिन बाद पार्टी दो हिस्सों में बंट गई थी। एक गुट का नेतृत्व जहां कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली कर रहे हैं और वहीं दूसरे गुट का नेतृत्व पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ और माधव कुमार नेपाल द्वारा किया जा रहा है। वर्ष 2018 में सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन (माओवादी सेंटर) का विलय करके एनसीपी का गठन किया गया था।
Decisions by both factions didn’t come in line with party’s statute, so can’t update Nepal Communist Party's details. We've notified KP Oli & Pushpa Kamal Dahal, making it clear that Commission will maintain party's existing details: Nepal Election Commission spox Raj Kr Shrestha https://t.co/HmNqzCzGPn
— ANI (@ANI) January 25, 2021
कहा, दोनों ही गुट राजनीतिक दल अधिनियम-2017 और पार्टी कानून का पालन करने में विफल रहे
चुनाव आयोग के प्रवक्ता राजकुमार श्रेष्ठ ने कहा, ‘दोनों ही गुटों द्वारा लिया गया निर्णय पार्टी संविधान के अनुरूप नहीं है। चूंकि फैसला नियम सम्मत नहीं है, इसलिए नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के भविष्य के बारे में फैसला नहीं कर सकते हैं। हमने दोनों ही गुटों के अध्यक्षों को इस बारे में सूचित कर दिया है कि आयोग पार्टी की मौजूदा स्थिति में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करेगा।’
बता दें कि दोनों गुटों ने चुनाव आयोग से मान्यता देने के साथ ही पार्टी के चुनाव चिह्न सूर्य पर अपना दावा पेश किया था। काठमांडू पोस्ट के मुताबिक दोनों गुटों ने आयोग के समक्ष जिस तरह के रिकॉर्ड पेश किए गए हैं, वह पार्टी संविधान का पालन नहीं करते हैं। चुनाव आयोग के फैसले का मतलब है कि पार्टी व्यवहारिक रूप से भले ही विभाजित हो गई हो, लेकिन यह तकनीकी और कानूनी रूप से एक है।
नेपाल में अमेरिकी राजदूत रैंडी बेरी ने सोमवार को नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (राकांपा) के कद्दावर गुट के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ से मुलाकात की। इस दौरान बाडडन प्रशासन की प्राथमिकताओं पर चर्चा की गई। जिसमें लोकतंत्रों को मजबूत करना और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना शामिल है। नेपाल में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच प्रचंड और बेरी के बीच हुई बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे पहले 22 जनवरी को राजदूत बेरी कार्यवाहक प्रधानमंत्री ओली से मिले थे।
ओली का पार्टी कार्यालय छोड़ने से इन्कार
सत्तारूढ़ एनसीपी ने भले ही कार्यवाहक पीएम केपी शर्मा ओली को पार्टी से निकाल दिया हो, लेकिन वे पार्टी कार्यालय छोड़ने से इन्कार कर दिया है। ओली के विरोधी गुट के वरिष्ठ नेता पंपा भूसल ने कहा कि हमने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निकाल दिया गया है। वहीं ओली के सहयोगी सूर्या थापा ने कहा कि पीएम को पार्टी से निकाले जाने का कोई राजनीतिक मतलब नहीं है। कानूनी और राजनीतिक तौर पर जीत अंतत: ओली की ही होगी।
नेपाल पुलिस ने सोमवार को राजधानी काठमांडू में संसद को भंग करने और पीएम केपी शर्मा ओली के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कुछ लोगों को गिरफ्तार किया। मानवाधिकार और पीस सोसाइटी के सदस्यों को प्रधानमंत्री निवास के पास से गिरफ्तार किया गया। ये लोग ऐसे प्रतिबंधित क्षेत्र की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे थे, जहां पर किसी तरह के विरोध-प्रदर्शन की अनुमति नहीं है।
उधर, सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के प्रचंड गुट ने सोमवार को चरणबद्ध विरोध-प्रदर्शन की अपनी योजना मीडिया को बताई। इसके तहत 26 जनवरी को एक बड़ी रैली का आयोजन किया जाएगा। 29 जनवरी को शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक सार्वजनिक समारोह होगा। चार फरवरी को काठमांडू में एक युवा रैली होगी और आठ फरवरी को एक मशाल रैली का आयोजन किया जाएगा।