छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में भूपेश बघेल सरकार द्वारा संचालित एक शेल्टर होम में 3 महिलाओं के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया है। पुलिस ने एक उज्जवला आश्रय स्थल के प्रबंधक को वहाँ की एक महिला से दुष्कर्म करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई तब हुई है, जब एक महिला ने आरोप लगाया कि आश्रय स्थल के कर्मचारियों ने उनको शारीरिक प्रताड़ना दी और रेप किया है।
बिलासपुर सिटी एसपी निमिषा पांडेय ने बताया कि तीन महिलाओं के बयान को एक मजिस्ट्रेट के समाने दर्ज करवाया गया। इनमें से एक महिला ने आश्रय स्थल के प्रबंधक जितेंद्र मौर्य पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। जिसके आधार पर मौर्य को गिरफ्तार कर लिया गया और इस मामले में आगे जाँच की जा रही है।
इस बीच गुरुवार को समिति की एक पूर्व कर्मचारी ने भी एसपी को एक पत्र लिख मौर्य पर गंभीर आरोप लगाया है। संस्था में 2012 में काम करने वाली महिला ने बताया, “जितेंद्र मौर्य महिलाओं को अनुचित तरीके से छूता और उनके निजी अंगों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करता था। उसने मुझे भी परेशान करने की कोशिश की। संस्था का मुख्य उद्देश्य प्रत्यावर्तन होने के बावजूद वह महिलाओं को उनके परिवारवालो के साथ नहीं जाने देता था।”
एसपी को लिखे अपने पत्र में पूर्व कर्मचारी ने बताया, “पुरुषों को महिलाओं के कमरे में नहीं जाने दिया जाता था, लेकिन वह (मौर्य) और कभी-कभी अपने दोस्तों के साथ नशे की हालात में उनके कमरे में चले जाते थे। वह कर्मचारियों को उनकी तनख्वाह भी नहीं देता था और इसलिए हमने संस्था छोड़ दिया। उस समय, किसी ने शिकायत नहीं की, लेकिन मीडिया में खबरों को देखने के बाद मैंने शिकायत करने का फैसला किया।”
वहीं पत्र को लेकर बिलासपुर के एसपी प्रशांत अग्रवाल का कहना है कि उन्हें अभी पत्र नहीं मिला है। बता दें कि उज्ज्वला गृह बिलासपुर का संचालन एनजीओ श्री शिवमंगल शिक्षण समिति काफी सालों से कर रही है। 17 जनवरी की रात में संस्था की 3 लड़कियों ने सेक्स रैकेट का आरोप लगाते हुए उज्जवला गृह सेन्टर के संचालक समेत कर्मचारी और अन्य लोगों को मामले में आरोपित बताया था।
किसी तरह आजाद हुई तीन लड़कियों ने जानकारी दी कि उन पर अनावश्यक रूप से दबाव डालकर सेक्स करने के लिए मजबूर किया जाता था। ऐसा नहीं करने पर उनके साथ मारपीट, गाली-गलौज और हिंसक व्यवहार किया जाता था। जिसके बाद 20 जनवरी को जिला अदालत में एक सिविल जज के सामने पीड़ितों का बयान दर्ज कर पुलिस ने महिलाओं को मेडिकल परीक्षण के लिए भेज दिया।
उज्जवला होम से भागी एक 18 वर्षीय लड़की ने बताया, “मुझे पुलिस वहाँ ले गई क्योंकि मेरे माता-पिता मुझे नहीं रखना चाहते थे। फिर, मुझे चौथे दिन एक कमरे में बंद कर दिया गया और मेरा बलात्कार किया गया। मैंने यह बात जज को बताई।”
बता दें 18 वर्षीय रेप पीड़ित लगभग 1 महीने से उज्ज्वला शेल्टर होम में रह रही थी। उसके साथ 19 और 20 साल की दो और लड़कियाँ किसी प्रकार भागने में सफल हुई थी।
पीड़िता ने आगे बताया, “संस्था की महिला स्टाफ ने मुझे मारा और मुझे एक कमरे में बंद कर दिया, जहाँ मौर्या ने मेरे साथ जोर जबरदस्ती की। वह हर बार मुझे ऐसा करने की धमकी देता था जब भी मैं वहाँ से भागने या किसी को सचेत करने की कोशिश करती। वे मुझे मेरे परिवार के साथ बात भी नहीं करने देते थे।”
आश्रय गृह से भागी 19 वर्षीय महिला ने कहा, “हमें ठीक से खाना नहीं दिया जाता था, लेकिन वे हमें पीने के समान में कुछ दवाइयाँ मिला कर पिलाते थे, जिससे हमें नींद आ जाती थी।”
वहीं 20 वर्षीय लड़की ने बताया कि हमें थाने जाने से भी डर लगता है। क्योंकि पिछली बार हमें चुप रहने की धमकी दी गई थी। बता दें पीड़ितों ने इस पूरी घटना में पुलिस पर भी मामले में मिली भगत का आरोप लगाया है। हालाँकि, बयान दर्ज होने के बाद लड़कियों को वापस सरकंडा थाने ले जाया गया है।
महिलाओं द्वारा संस्था संचालक एवं संस्था के कर्मचारियों के विरुद्ध की गई शिकायत गंभीर प्रवृत्ति की होने के कारण उच्चाधिकारियों ने संस्था में निवासरत शेष 7 महिलाओं को उनके परिजन एवं अन्य संस्था में स्थानांतरित किया है। इसके साथ ही वर्तमान में संस्था में किसी भी महिला के रहने पर रोक लगा दी गई है।