नई दिल्ली। आंदोलनकारी किसानों के साथ सरकार की बुधवार को होने वाली 10वें दौर की वार्ता में दोनों पक्ष पूरी तैयारी के साथ हिस्सा लेंगे। वार्ता से पूर्व दोनों पक्षों की ओर से विभिन्न मंचों पर बयान दिए गए हैं जिससे इस बैठक में तनातनी हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट की गठित कमेटी के सदस्यों की अपनी बैठक मंगलवार को हो गई। नए कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े किसान संगठनों को सलाह देते हुए एक बार कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने इसके अलावा किसी और विकल्प को लेकर बैठक में आने को कहा है। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई। सरकार की ओर से बातचीत के साथ आंदोलन की घोषणाओं पर सवाल उठाया जा सकता है।
ट्रैक्टर रैली को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना रुख किया साफ
दसवें दौर की बैठक मंगलवार को होनी थी, जिसे एक दिन आगे बढ़ाकर बुधवार कर दिया गया है। किसानों की ट्रैक्टर रैली को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना रुख साफ कर दिया है। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में प्रवेश की अनुमति देने का दायित्व दिल्ली पुलिस के पास है। किसान संगठनों की गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली निकालने को लेकर पूरी तैयारी है। उधर, अगली बैठक में सरकार की ओर से ठोस प्रस्ताव रखने के साथ किसान संगठनों से अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा जाएगा, ताकि वार्ता को सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ाया जा सके।
कृषि मंत्रालय में अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक में अपनी ओर से रखे जाने वाले प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया गया। बुधवार की वार्ता में किसान नेताओं से कानून रद करने के अलावा किसी और विकल्प को रखने को कहा जाएगा। इस बारे में तोमर ने रविवार को ही बयान देकर सरकार का रुख साफ कर दिया है। सरकार उनकी कानूनों को रद करने की मांग को सिरे से पहले ही खारिज कर चुकी है। कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि किसानों से सीधे जुड़े मसले को सरकार ने पहले ही मान लेने की हामी भर ली है जिसमें बिजली बिल भुगतान बिल और पराली अध्यादेश प्रमुख है। दरअसल, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर पिछले 55 दिनों से दिल्ली की सीमा पर डेरा डाल रखा है।