लखनऊ। साइबर इकोनामिक फ्रॉड के बड़े मामले का राजफाश उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ता (यूपी एटीएस) ने किया है। एटीएस ने फर्जी आइडी से सिम कार्ड प्राप्त कर ऑनलाइन बैंक खाते खोलकर अपराधिक गतिविधियों से प्राप्त धनराशि का आदान-प्रदान करने वाले गिरोह के 14 शातिरों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में कुछ विदेशी नागरिकों के नाम सामने आए हैं, जिनके खिलाफ हम लुकआउट नोटिस जारी किया जा रहा है। एटीएस इन खातों में टेरर फंडिंग और हवाला से जुड़ी रकम को जमा कराए जाने के साथ ही गिरोह के देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने की भी जांच कर रही है।
आपराधिक गतिविधियों के लिए शातिर गिरोह फर्जी आइडी से सिम कार्ड हासिल कर ऑनलाइन खाते खोलकर लेनदेन कर रहा था। यूपी एटीएस ने वितरकों-रिटेलरों से प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड लेकर दिल्ली में बेचने वाले प्रेम सिंह समेत 14 शातिरों को दबोच लिया है। आशंका है कि इन ऑनलाइन खातों का इस्तेमाल टेरर फंडिंग सहित अन्य अपराधों में हो रहा था, क्योंकि गिरोह में विदेशी नागरिक भी शामिल है। जांच एजेंसियां पूछताछ और जांच में जुटी हैं।
एडीजी ने बताया कि अभी पहले ट्रांजेक्शन के आधार पर मुकदमे में करीब दो लाख रुपये का लेनदेन दर्ज किया गया है। करीब पचास लाख रुपये ट्रांजेक्शन की बात सामने आ रही है। जांच चल रही है, जिसमें स्पष्ट होगा कि कुल लेनदेन कितने का हुआ, यह पैसा कहां से और किस मकसद से लिया-दिया जा रहा था, गिरोह का नेटवर्क कहां तक फैला है, इसमें कहीं बैंक कर्मियों की संलिप्तता तो नहीं।
ये हैं गिरफ्तार अभियुक्त : संभल निवासी मोहम्मद फहीम, सैमुल हसन, हरिओम अरोड़ा, चंद्रकिशोर, तरुण सूर्या, पीयूष वाष्र्णेय, मुरादाबाद निवासी प्रेम सिंह, अमरोहा निवासी अंशुल कुमार सक्सेना और चंदौसी निवासी प्रशांत गुप्ता हैं। इन नौ के अलावा पांच अभियुक्त रविवार को एटीएस की नोएडा शाखा ने दिल्ली से गिरफ्तार किए हैं, जिन्हें लखनऊ लाया जा रहा है। इन सभी को सोमवार को कोर्ट में पेश कर पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिया जाएगा।
ऐसे तो फंस जाएगा कोई आम नागरिक : गनीमत है कि इस घटना में एटीएस ने शातिरों को पकड़ लिया, लेकिन यह आशंका तो खड़ी हो ही गई कि बिना गलती के इस तरह आम नागरिक भी फंस सकते हैं। एडीजी कानून व्यवस्था ने बताया कि ये अभियुक्त किसी भी ग्राहक की आइडी का गलत इस्तेमाल कर उसके नाम से दूसरी सिम ले लेते थे। फिर उसी से ऑनलाइन खाते खोलते थे। ग्राहक को इसकी भनक तक नहीं लगती। पुलिस के मुताबिक, एक व्यक्ति की आइडी पर एक दिन में दो सिम निकाले जा सकते हैं।
टेरर फंडिंग व हवाला से जुड़े हो सकते तार : एटीएस की अब तक की जांच में सामने आया है कि इन खातों में भेजी गई रकम को कई एटीएम से कार्डलेस ट्रांजेक्शन के माध्यम से निकाला गया है। खातों में विदेश से भी रकम भेजी गई है। खातों में रकम कहां-कहां से भेजी गई और उसे निकालकर कहां इस्तेमाल किया गया, एटीएस फिलहाल इसकी गुत्थी सुलझाने में जुटी है। इन खातों में टेरर फंडिंग व हवाला से जुड़ी रकम को जमा कराए जाने के साथ ही गिरोह के देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने की आशंका के चलते एटीएस अपनी छानबीन के कदम तेजी से आगे बढ़ा रही है।