नई दिल्ली। साइबर क्राइम के एक से एक मामले आपने देखे-सुने होंगे। लेकिन पत्रकार निधि राजदान के साथ जो हुआ वो एकदम अलग है और अनोखा भी। निधि राजदान के ट्वीट के मुताबिक हैकर्स ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के नाम पर उन्हें ‘फिशिंग अटैक’ का शिकार बनाया। मगर इसको लेकर अब भी कई सवालों के जवाब आने बाकी है।
उन्होंने शनिवार (जनवरी 16, 2021) को इस मामले पर एक ब्लॉग लिखा। हालाँकि इस ब्लॉग ने जवाब से ज्यादा सवाल खड़े किए। ऐसा ही एक सवाल जिसका जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है, वो यह है कि कैसे उनके सर्किल के लोगों ने उनसे नहीं बताया कि यह स्कैम हो सकता है। उनकी सर्किल में हार्वर्ड एलुमनी और हार्वर्ड प्रोफेसर भी थे। उनमें से एक हैं- स्टीव जार्डिंग।
निधि राजदान के साथ स्टीव जार्डिंग कौटिल्य स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी (KSPP) के सलाहकार बोर्ड में हैं। वह हार्वर्ड केनेडी स्कूल में प्रोफेसर हैं। वह NDTV पर अमेरिकी राजनीति पर टिप्पणी करने के लिए आते रहे हैं। NDTV ने अपनी आदत के मुताबिक स्टीव जार्डिंग को प्रोफेसर और एक राजनीतिक विश्लेषक के रूप में पेश किया और डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ उनके लंबे समय के एसोसिएशन को छिपाने का प्रयास किया।
स्टीव जार्डिंग अमेरिकी सीनेट, कई डेमोक्रेट उम्मीदवारों के चुनावी अभियानों का हिस्सा रहे हैं। खबरों के मुताबिक, उन्होंने कम से कम एक बार डेमोक्रेटिक पार्टी में एक पद भी सँभाला है। उन्होंने 2016 में हिलेरी क्लिंटन के राष्ट्रपति अभियान में भी काम किया और रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने स्पेनिश प्रधानमंत्री मारियानो राजोय, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और अन्य के अभियानों में भी काम किया है।
स्टीव जार्डिंग ने भारतीय राजनीति में भी दबदबा बनाया है। उन्होंने 2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी को अपनी सेवाएँ प्रदान की थीं। उन्होंने पहले हिलेरी और फिर अखिलेश के राजनीतिक अभियान में हिस्सा लिया था।
उनके लीक हुए एक आंतरिक ईमेल से यह भी पता चला है कि अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव के बीच का स्पष्ट टकराव राजनीतिक रणनीति के तहत जार्डिंग की सलाह के हिस्से के रूप में किया गया था।
सिर्फ अखिलेश यादव ही नहीं, स्टीव जार्डिंग ने राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस पार्टी को भी 2019 के लोकसभा चुनावों पर सलाह देने का प्रयास किया। ऐसी अटकलें थीं कि वह वास्तव में कॉन्ग्रेस पार्टी के साथ काम कर रहे थे, लेकिन उन्होंने कहा कि दोनों के बीच केवल एक बैठक हुई थी।
उनके हालिया ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, यह शायद कुछ स्मार्ट फैसलों में से एक हो सकता है, जिसे राहुल गाँधी ने अपने राजनीतिक जीवन में लिया है। यह भी बताया गया कि वह 2019 के चुनावों के लिए जनसेना प्रमुख पवन कल्याण के साथ काम करेंगे। निधि राजदान मामले में यह समझ से बाहर है कि हार्वर्ड के प्रोफेसर और डेमोक्रेट पोल सलाहकार उन्हें सचेत करने में विफल रहे कि वह एक संभावित स्कैम की शिकार हो सकती हैं।
वह संयुक्त राज्य अमेरिका से एक अच्छी तरह से जुड़े हुए शख्स हैं। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि उन्हें विश्विद्यालय के बुनियादी विवरणों की जानकारी होगी। जैसे कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने निधि राजदान द्वारा विश्वविद्यालय में शामिल होने की घोषणा करने से दो महीने पहले अप्रैल 2020 में ही नई नियुक्तियों पर रोक का ऐलान कर दिया था। हालाँकि निधि इस मामले से तब तक बेखबर रही जब इस महीने यूनिवर्सिटी ने ऐसी किसी नियुक्ति से इनकार किया।