कोलकाता। पश्चिम बंगाल में अगले वर्ष चुनाव होने हैं जिसकी वजह से प्रदेश के भीतर सियासी खींचतान अपने चरम पर है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के मुद्दे पर एक अहम बयान दिया है। उन्होंने ‘मटुआ समुदाय’ के समक्ष यह सुनिश्चित किया है कि पश्चिम बंगाल सरकार चाहे जितना प्रतिरोध करे लेकिन केंद्र सरकार इसे लागू करने वाली है। दरअसल, कुछ दिनों पहले ममता बनर्जी ने मटुआ समुदाय के लोगों से झूठ बोलते हुए कहा था कि उन्हें सीएए के तहत नागरिकता की ज़रूरत नहीं है। ममता बनर्जी के मुताबिक़, मटुआ समुदाय के लोग पहले ही यहाँ के नागरिक हैं इसलिए उन्हें इसकी आवश्यकता नहीं है।
नार्थ 24 परगना जिले के ठाकुरनगर (मटुआ समुदाय बाहुल्य क्षेत्र) में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने यह बयान दिया। सीएए को लेकर पूछे गए प्रश्न पर भाजपा नेता कहा, “अगर पश्चिम बंगाल की प्रदेश सरकार इस क़ानून को लागू करने का विरोध करती है तब भी हम इसे लागू करेंगे। केंद्र सरकार के पास इसे लागू करने का पूरा अधिकार है, चाहे राज्य सरकार इसका समर्थन करे या नहीं करे। हम इस बात को लेकर पूरी तरह स्पष्ट हैं कि पश्चिम बंगाल में यह क़ानून लागू होगा।” मटुआ समुदाय की पिछले काफी समय से माँग रही है कि उन्हें भारत की स्थायी नागरिकता दी जाए।
समुदाय की नागरिकता को लेकर भाजपा महासचिव ने कहा, “पाकिस्तान और बांग्लादेश से प्रताड़ित होकर आने के बाद मटुआ समुदाय के लोग भारत में शरणार्थी की तरह रह रहे हैं। हम उन्हें किसी भी सूरत में नागरिकता देकर रहेंगे और ऐसा करने से हमें कोई नहीं रोक सकता है।” बोनगाँव से भाजपा सांसद और मटुआ समुदाय के नेता शांतनु ठाकुर ने भी इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखा। उनके अनुसार, “हम केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के ठाकुरनगर दौरे के समय सीएए क्रियान्वन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।”
टीएमसी के झूठ और राजनीतिक विलाप
मटुआ समुदाय की नागरिकता के मुद्दे पर टीएमसी नेता सौगत रॉय ने भ्रम फैलाया था। उन्होंने दावा किया था, “मटुआ समुदाय के लोगों को इस तरह का आश्वासन दिया जाना यह दिखाता है कि वह यहाँ के नागरिक नहीं हैं।” टीएमसी की पूर्व सांसद ममता ठाकुर ने इस मुद्दे कहा था कि वह इस तरह की नागरिकता स्वीकार नहीं करेंगे और इसके विरोध में धरने पर बैठेंगे।” इस हफ़्ते की शुरुआत में नार्थ 24 परगना स्थित मटुआ बाहुल्य क्षेत्र ‘बोनगाँव’ के गोपालनगर में जनसभा को संबोधित करते हुए प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मटुआ समुदाय के लोगों को लालच देने का प्रयास किया था। उनका कहना था कि भाजपा मटुआ समुदाय के लोगों को सीएए के तहत नागरिकता प्रदान करके उन्हें बाँट रही है, वह पहले से ही भारत के नागरिक हैं।
कौन हैं मटुआ
मटुआ समुदाय के लोग ‘पिछड़ी जाति’ के हिन्दू शरणार्थी हैं जिन्होंने बांग्लादेश में धार्मिक आधार पर प्रताड़ना झेलने के बाद भारत में शरण ली है। इस समुदाय की स्थापना हरिचंद ठाकुर (1812-1878) और उनके पौत्र गुरुचंद ठाकुर (1846-1937) ने की थी जो मूल रूप से फरीदपुर, बांग्लादेश के रहने वाले थे। हालाँकि, 1946 में उनका परिवार बंगाल आ गया था और 1971 में इस समुदाय के अधिकतर लोग ‘गैरक़ानूनी’ रूप से भारत आ गए थे।
इस समुदाय की आबादी पश्चिम बंगाल के 40 संसदीय क्षेत्रों को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। पहले टीएमसी को इस समुदाय का समर्थन प्राप्त था लेकिन 2019 लोकसभा चुनावों के बाद इनका समर्थन भाजपा की तरफ झुका है। मीडिया रिपोर्ट्स के मानें तो मटुआ समुदाय के लोग सीएए लागू होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय सुनिश्चित कर चुके हैं कि सीएए लागू करने लिए प्रावधान तैयार किए जा रहे हैं।