यूपी में प्रदर्शनकारी किसानों ने ट्रैक्टर से पुलिस कर्मियों को रौंदने की कोशिश की: वीडियो वायरल, कार्रवाई के निर्देश

लखनऊ। सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें ट्रैक्टर पर सवार 6 अज्ञात आरोपितों ने मंगलवार (8 दिसंबर, 2020) को स्टंट करते हुए पुलिसकर्मियों को कुचलने की कोशिश की। घटना नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों द्वारा घोषित भारत बंद के दिन उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के तितावी क्षेत्र में हुआ है।

खबरों के मुताबिक, अज्ञात बदमाश जुआ खेल रहे थे, जिस दौरान पुलिस अधिकारियों ने उन्हें रोका। इसके अलावा वे अपने ट्रैक्टरों पर खतरनाक स्टंट भी कर रहे थे। वीडियो में आप देख सकते है कि पुलिस ने शुरू में बदमाशों को रोकने की कोशिश की। फिर जैसे ही पुलिस के हाथ ट्रैक्टर पर बैठे 2 बदमाश लगे वैसे ही ट्रैक्टर चालक ने तेजी से ट्रैक्टर चलाकर वहाँ मौजूद पुलिसकर्मियों को कुचलने की कोशिश की। जिस दौरान पुलिस अधिकारियों ने भागकर तेज गति से आ रहे ट्रैक्टर से अपनी जान बचाई।

मुजफ्फरनगर पुलिस ने वीडियो का जवाब देते हुए कहा कि अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और मामले में आगे की जाँच जारी है।

मुजफ्फरनगर पुलिस ने 6 आरोपितों के खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। घटना के बारे में जानकारी देते हुए एसपी अभिषेक यादव ने कहा, “पुलिस अज्ञात युवकों का पता लगाने की कोशिश कर रही है। उन्हें जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा और उनके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।”

सरकार द्वारा पारित तीन नए कृषि कानून के खिलाफ किसान नवंबर के अंत से विरोध प्रदर्शन कर रहे है। किसान तीन ऐतिहासिक कृषि कानूनों को निरस्त करने की माँग के साथ, बिचौलियों, एपीएमसी बाजारों के एकाधिकार को समाप्त करना और किसानों के जीवन को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य निर्धारण के माध्यम से संपन्न बनाना है।

हालाँकि, सरकार द्वारा उनकी माँगों को खारिज कर दिया गया। सरकार ने आश्वासन दिया है कि वे इस विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार है। भाजपा ने कॉन्ग्रेस और कमीशन एजेंटों पर किसानों को गुमराह करने और मंडियों के उन्मूलन के बारे में अफवाह फैलाने का आरोप लगाया था।

खालिस्तानियों और नक्सलियों द्वारा प्रदर्शन को किया गया हाइजैक

गौरतलब है कि गत गुरुवार को किसान आंदोलन के दौरान एक चौकाने वाला नजारा देखने को मिला। कृषि कानूनों के खिलाफ शिकायत के रूप में अपना विरोध शुरू करने वाले टिकरी सीमा पर प्रदर्शनकारियों ने गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवारा राव, आनंद तेलतुम्बडे, और दिल्ली दंगों के आरोपित उमर खालिद, शरजील इमाम, खालिद सैफी आदि लोगों की रिहाई की माँग भी शुरू कर दी।

किसान संगठन होने का दावा करने वाले भारतीय किसान यूनियन (BKU उगराह) ने मानवाधिकार दिवस पर माओवादी-नक्सलियों के साथ संबंध के आरोप में ‘गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) संशोधन विधेयक (यूएपीए) UAPA के तहत गिरफ्तार किए गए कई आरोपितों के साथ प्रदर्शनकारियों ने सरकार से हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों के आरोपितों को रिहा करने की भी माँग की थी।

बीकेयू (उगराह) के वकील और समन्वयक एनके जीत ने कहा कि यह पहले दिन से ही उनकी माँग रही है कि जेलों में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को रिहा किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने कहा है कि शहरी नक्सलियों, कॉन्ग्रेस और खालिस्तानियों द्वारा कृषि आंदोलन को भड़काया गया है। एनके जीत ने कहा कि शहरी नक्सल लोगों पर मुकदमा चलाने का यह एक बहाना है और पंजाब में लोगों को स्टेट टेररिज्म और आतंकवादियों के बीच फंसाया जाता है जबकि नक्सलवाद ने आदिवासी लोगों को उनके अधिकार दिलाने में मदद की है।”