दिवंगत वाजिद खान की पत्नी ने अंतर-धार्मिक विवाह की अपनी पीड़ा पर लिखा पोस्ट, कहा- धर्मांतरण विरोधी कानून का राष्ट्रीयकरण होना चाहिए

बॉलीवुड के मशहूर संगीतकार वाजिद खान के कोरोना वायरस से निधन के कुछ महीनों बाद उनकी पत्नी कमलरूख खान ने अंतरधार्मिक विवाह के बारे में अपनी बातें साझा करने के लिए सोशल मीडिया पर कदम रखा। उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक लंबी पोस्ट में कैप्शन दिया, “जिओ और जीने दो एक ही धर्म होना चाहिए जिसका हम सभी पालन करते हैं।” कमलरुख ने खुलासा किया कि कैसे इस्लाम में परिवर्तित होने के उनके प्रतिरोध ने उनके और उनके दिवंगत पति के बीच की खाई को बढ़ा दिया।

धर्मांतरण विरोधी बिल को लेकर हो रही बहस के बीच उन्होंने अपनी कहानी साझा करते हुए कहा, “मैं पारसी हूँ और वह मुस्लिम था। हम वही थे जिसे आप “कॉलेज स्वीटहार्ट्स” कहेंगे। आखिरकार जब हमारी शादी हुई, तो हमने स्पेशल मैरिजेज एक्ट के तहत प्यार के लिए शादी की।” कमलरुख ने बताया कि कैसे महिलाओं को धर्म के नाम पर पूर्वाग्रह, पीड़ा और भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

अपने विवाहित जीवन के बारे में विवरण साझा करते हुए, कमलरुख बताती हैं कि पारसी परिवार में जन्म लेने की वजह से उनकी परवरिश और संस्कृति वाजिद खान के परिवार की मूल्य प्रणाली के विपरीत थी। उन्होंने लिखा “मेरी सरल पारसी परवरिश अपने मूल्य प्रणाली में बहुत लोकतांत्रिक थी। विचार की स्वतंत्रता को प्रोत्साहित किया गया और स्वस्थ बहसें आदर्श थीं। सभी स्तरों पर शिक्षा को प्रोत्साहित किया गया। हालाँकि, विवाह के बाद की स्वतंत्रता, शिक्षा और लोकतांत्रिक मूल्य प्रणाली मेरे पति के परिवार के लिए सबसे बड़ी समस्या थी।”

‘इस्लाम में परिवर्तित होने के प्रतिरोध ने मेरे और मेरे पति के बीच की खाई को काफी बढ़ा दिया’

कमलरुख ने लिखा, “एक शिक्षित, विचारशील, स्वतंत्र राय वाली महिला स्वीकार्य नहीं थी और धर्मांतरण के दबाव का विरोध करना अपवित्र था।” कमलरुख ने लिखा कि हालाँकि वह सभी धर्मों को बहुत महत्व देती हैं, लेकिन धार्मिक रूपांतरण पर उन्हें विश्वास नहीं था। कमलरुख ने खुलासा किया कि कैसे इस्लाम में उनके प्रतिरोध ने उनके और उनके पति के बीच की खाई को काफी बढ़ा दिया, जिसकी वजह से यह पति और पत्नी के रूप में उनके रिश्ते को नष्ट करने के लिए पर्याप्त विषाक्त हो चुका था और इसका असर बच्चों पर भी पड़ा।

वाजिद खान के परिवार से बहिष्कृत होने के पीछे का कारण बताते हुए कमलरुख ने लिखा, “मेरी गरिमा और आत्म-सम्मान ने मुझे उनके और उनके परिवार के लिए इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए झुकने की अनुमति नहीं दी।”

उन्होंने बताया कि कैसे इस विषाक्त मजहब के खिलाफ उनकी लड़ाई संगीतकार के साथ तलाक के साथ खत्म हुई। उसने शेयर किया, “मैं तबाह हो गई थी, विश्वासघात महसूस किया और भावनात्मक रूप से टूट चुकी थी, लेकिन फिर भी मैंने खुद को और अपने बच्चों को सँभाला।”

‘काश, हम धार्मिक पूर्वाग्रहों से रहित परिवार के रूप में अधिक समय बिताते’

कमलरुख ने आगे कहा कि उनके पति के निधन के बाद भी उनका संघर्ष और उनपर आघात जारी है। उन्होंने लिखा, “आज उनकी असामयिक मृत्यु के बाद भी उनके परिवार का उत्पीड़न जारी है। मैं अपने बच्चों के अधिकारों और विरासत के लिए लड़ रही हूँ, जो उनके द्वारा हड़प लिए गए हैं। यह सब मेरा इस्लाम में परिवर्तित न होने के कारण उनकी नफरत का नतीजा है। नफरत की ऐसी गहरी जड़ें किसी प्रियजन की मृत्यु के बाद भी खत्म नहीं होती।”

धार्मिक रुपांतरण के खिलाफ बने कानून का समर्थन करते हुए वाजिद खान की पत्नी ने कहा, “मेरे बच्चे और मैं उन्हें बहुत याद करते हैं और हम चाहते हैं कि वह बिना धार्मिक पूर्वाग्रहों के एक परिवार के रूप में हमारे लिए अधिक समय दें।”

बता दें कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने ‘ग्रूमिंग जिहाद (लव जिहाद)’ के खिलाफ बने विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 पर हस्ताक्षर कर इसे मंजूरी दे दी है। इसके बाद ये प्रदेश में औपचारिक रूप से लागू हो गया है। राज्यपाल ने शनिवार (नवंबर 28, 2020) को इसकी मंजूरी दी। राज्यपाल की अनुमति मिलते ही ये अपराध गैर-जमानती हो गया है और इसे 6 महीनों के भीतर विधानमंडल के दोनों सदनों में पास कराना होगा।

‘धर्मांतरण विरोधी कानून का राष्ट्रीयकरण किया जाना चाहिए’

कमलरुख ने कहा कि यूपी सरकार द्वारा शुरू किए गए धर्मांतरण विरोधी कानून का राष्ट्रीयकरण किया जाना चाहिए ताकि अंतरजातीय विवाह में धर्म की विषाक्तता से जूझ रही मेरे जैसी महिलाओं के लिए संघर्ष को कम किया जा सके। उन्होंने लंबी पोस्ट लिखकर बताया, “धर्म मतभेदों के जश्न का एक कारण होना चाहिए न कि परिवारों के अलग होने का। सभी धर्म परमात्मा का मार्ग हैं। जिओ और जीने दो एक ही धर्म होना चाहिए जिसका हम सभी पालन करते हैं।”