मुजफ्फरनगर/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में प्रशासन ने वन विभाग की जमीन पर कब्जा किए हुए पीर खुशहाल के अवैध चिल्लागाह पर बुल्डोजर चला कर उसे जमींदोज कर दिया। जानकारी के अनुसार पाकिस्तान से आए पीर खुशहाल ने भोंपा थाना क्षेत्र में साल 1964 में इस जमीन को लीज पर लेकर इस पर 100 बीघा में अवैध निर्माण करवा लिया था। यहाँ कथित तौर पर 400 कमरे और इबादतगाह था।
प्रशासन ने लीज खत्म होने पर पीर खुशहाल के परिवार को नोटिस भेजा था लेकिन जब उसे खाली नहीं किया गया तो अल्टीमेटम देकर उस पर जेसीबी चलवाने का काम शुरू हुआ।
इस दौरान पीर की बीवी ने इस कार्रवाई का विरोध किया लेकिन अधिकारियों ने हाईकोर्ट और नियम का हवाला देकर जमीन को खाली करवाया और शुरु में आरामगाह में बने दस कमरों के आगे बने बरामदे व आगे के हिस्से को गिराकर प्रशासन टीम लौट आई। इसके बाद इस आवासीय महल को गिराने का काम लगातार चला। पिछले दिनों इस निर्माण के 50 कमरे ध्वस्त किए गए।
यहाँ बता दें कि पाकिस्तान से आए पीर खुशहाल की मृत्यु साल 2017 में हुई थी। उसके घर वालों ने इस अवैध निर्माण में उसकी मजार भी बनाई हुई है। जब पिछले हफ्ते कई आला अधिकारियों समेत प्रशासन की टीम बिहारगढ़ में बने चिल्लागाह पर पहुँची तो पीर खुशहाल की बीवी नाजिया अफरीदी ने इसका विरोध किया और कहा कि धर्मस्थल को नहीं तोड़ा जा सकता।
@myogiadityanath government has successfully demolished illegal construction on 100 bighas of Forest Department land which was done by a Pir of Pakistani origin. Yes you read it correctly, Pir of Pakistani origin. THREAD c/- https://t.co/wKRr07xZns pic.twitter.com/IVrxCiAB3M
— Divya Kumar Soti (@DivyaSoti) November 20, 2020
हालाँकि, अफसरों ने नाजिया को साल 2005 में जमीन की लीज पूरी होने की बात बताई और कहा कि ध्वस्तीकण की कार्रवाई जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि यह जमीन खाली करा कर वापस वन विभाग को सौंपी जाएगी। अगस्त महीने में इसके लिए नोटिस चिपकाया जा चुका है। अब जमीन को खाली कराने का काम हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले पीर खुशहाल की जमीन के मामले को लेकर केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ संजीव बालियान ने 19 अगस्त 2020 को जिलाधिकारी सेल्वा जे को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में कहा गया कि वर्ष 1975 में दी गई जमीन के आवंटन का समय 31 अक्तूबर 2005 को पूरा हो गया।
उन्होंने कहा कि पीर खुशहाल की मृत्यु भी हो चुकी है। कोर्ट में भी इस जमीन को लेकर कोई मामला नहीं है। कोर्ट ने कहा प्रशासन वन विभाग की इस जमीन को तत्काल खाली कराए। इस पत्र के बाद ही विभाग की जमीन को खाली कराने के लिए नोटिस जारी किया गया। जब लंबे समय तक वन विभाग की जमीन खाली नहीं हुई तो मंत्री संजीव बालियान ने फिर डीएम और डीएफओ से पूछा कि जमीन को खाली नहीं कराने के पीछे किसका दबाव है।
इसके बाद चिल्लाहगाह भूमि पर अवैध निर्माण को गिराने का काम 11 नवंबर को शुरू हुआ। वन क्षेत्राधिकारी ने हाल में बताया कि पीर खुशहाल की बीवी ने आवासीय महल को खाली करना शुरू कर दिया है। परिसर में बनी मस्जिद और पीर बाबा की मजार वैसी की वैसी बनी रहेगी। बाकी सभी निर्माण कार्य को ध्वस्त किया जाएगा।
हिंदुओं के तीर्थ के पास मिली पाकिस्तानी पीर को जमीन: राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ
गौरतलब हो कि इस अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ दिव्य कुमार सोती ने यह जानकारी ट्विटर पर साझा की है। उन्होंने बताया है कि पीर खुशहाल को मिली वन विभाग की जमीन हिंदुओं के तीर्थ शुक तीर्थ के बिलकुल नजदीक है, जहाँ राजा परीक्षित को संन्यासी शुक ने श्रीमद्भगवत गीता का पाठ सुनाया था।
वह कहते हैं कि अब सोचिए कितने लोगों ने भारत पर राज किया कि हम भारतीयों को वन विभाग में जाने के लिए अनुमति लेनी होती है और पीर खुशहाल को 100 बीघा जमीन लीज पर मिल गई।
उन्होंने पाकिस्तान में हिंदुओं की हालत को याद दिलाया और कहा कि उन्हें झोपड़ी भी नसीब नहीं होती जबकि यहाँ पाकिस्तान के पीर ने वन विभाग की जमीन पर 400 कमरे बना लिए।
उन्होंने बताया कि इलाके में स्थानीय लोग इस आवासीय महल में होने वाली संदिग्ध गतिविधियों पर बात करते रहे हैं। यहाँ से ट्रक लोड होकर एलपीजी और डीजल सप्लाई का काम भी हुआ है। लेकिन, इस पर कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई। दिव्य कुमार सोती बताते हैं कि पीर की 3 पत्नियाँ थीं, जिनमें एक पाकिस्तानी और एक अफगानिस्तानी थी।