धर्म परिवर्तन कराने वालों के खिलाफ यूपी सरकार लेगी कड़ा एक्शन, आसान भाषा में समझें पूरा अध्यादेश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने मंगलवार को लव जेहाद पर धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश को मंजूरी दे दी. इस अध्यादेश में कई महत्वपूर्ण बिंदु शामिल किए गए हैं. साथ ही दोषी पाए जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान भी किया गया है. आइए आपको बताते हैं कि आखिर इस नए कानून में क्या प्रावधान होंगे.

कैबिनट मीटिंग में पास हुआ अध्यादेश
यूपी कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 को हरी झंडी दी गई है. जिसके तहत मिथ्या, झूठ, जबरन, प्रभाव दिखाकर, धमकाकर, लालच देकर, विवाह के नाम पर या धोखे से किया या कराया गया धर्म परिवर्तन अपराध की श्रेणी में आएगा. ऐसे धर्म परिवर्तन कराने या करने के मामलों में अगर एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन नहीं किया गया तो इस बात के सबूत की जिम्मेदारी आरोपी बनाए गए शख्स पर ही होगी.

ऐसी शादी मानी जाएगी शून्य
अगर कोई केवल शादी के लिए लड़की का धर्म परिवर्तन करता है या कराता है, तो ऐसे में वो शादी शून्य की श्रेणी में आएगी. मतलब ये कि वो शादी कानून की नजर में अवैध होगी.

उपबंधों का उल्लंघन पड़ेगा भारी
कानून के तहत आने वाले उपबंधों का उल्लंघन करने पर कम से कम एक साल और अधिकतम 5 साल की सजा का प्रावधान होगा. साथ ही कम से कम 15 हजार रुपये का जुर्माना भी प्रस्तावित है.

नाबालिग और एससी, एसटी महिलाओं के लिए कानून 
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की महिला या किसी नाबालिग लड़की का धर्म परिवर्तन करना या कराना भी इसी अपराध की श्रेणी में गिना जाएगा. नाबालिग लड़कियों, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के साथ किए गए उपरोक्त अपराध के दोषी को कम से कम 3 साल और अधिकतम 10 कैद की सजा का प्रावधान होगा. साथ ही कम से कम 25 हजार रुपये का जुर्माना किया जाना प्रस्तावित है.

सामूहिक धर्म परिवर्तन पर अंकुश
इसी प्रकार से सामूहिक धर्म परिवर्तन करने या कराने के मामले में भी यह कानून लागू होगा. जिसके तहत ऐसा करने या कराने वाले सामाजिक संगठनों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा. दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में 3 साल से कम की सजा नहीं होगी लेकिन इस सजा को अधिकतम 10 वर्ष की कैद तक बढाया जा सकेगा. और ऐसे मामलों में जुर्माने की रकम 50 हजार रुपये से कम नहीं होगी.

सिर्फ प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट करेंगे सुनवाई
इस अध्यादेश के तहत मिथ्या, बल, प्रभाव, प्रपीड़न, लालच या किसी धोखे से एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन के लिए मजबूर किए जाने को संज्ञेय अपराध माना जाएगा. यह अपराध गैर जमानती होगा. ऐसे मुकदमों की सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की अदालत में किए जाने का प्रावधान होगा.

यह होगी धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया
अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के इच्छुक लोगों का ख्याल भी रखा गया है. ऐसे व्यक्तियों को तय प्रारूप के मुताबिक दो माह पहले जिला मजिस्ट्रेट (DM) को सूचना देनी होगी. उन्हें घोषणा करनी होगी कि बिना किसी लालच, डर और बहकावे में आए वे धर्म परिवर्तन कर रहे हैं. यदि वे ऐसा नहीं करते तो इसे कानून का उल्लंघन माना जाएगा. दोषी पाए जाने पर 6 माह से 3 साल तक की सजा का प्रावधान होगा. साथ ही जुर्माने की रकम दस हजार से कम नहीं होगी.

एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन के लिए विहित प्राधिकारी के समक्ष उदघोषणा करनी होगी कि यह धर्म परिवर्तन बिना किसी लालच, डर, प्रभाव, प्रपीड़न, बिना जोर जबरदस्ती, बिना किसी छल कपट या केवल शादी के लिए नहीं किया गया है.