लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सात विधानसभा चुनाव के नतीजे भले ही दस नवंबर को आएंगे, लेकिन नतीजों से पहले रुझान मिलने लगा है। इंडिया टुडे के लिए एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में संभावित विजेताओं और पराजितों के बारे में जानकारी मिली है।
इसके एग्जिट पोल के अनुसार उत्तर प्रदेश के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ही बढ़त पर है। भाजपा को 37 प्रतिशत तथा समाजवादी पार्टी को 27 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है। सात सीट पर लड़ने वाली बहुजन समाज पार्टी को 20 फीसदी तथा छह सीट पर लड़ी कांग्रेस को आठ फीसदी वोट मिले सकते हैं। उत्तर प्रदेश में विधानसभा की सात सीट पर उप चुनाव के लिए मतदान हुआ था।
वोट शेयर के यह आंकड़े जब सीटों में तब्दील होते हैं तो आज तक एग्जिट पोल सर्वे यूपी में भाजपा को पांच से छह सीटें मिलने का अनुमान व्यक्त कर रहा है। इसी तरह समाजवादी पार्टी को एक से दो सीटें और बसपा को शून्य से एक सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है।
उपचुनाव सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी के साथ विपक्षी दलों के लिए काफ़ी अहम है। इन के नतीजों में अगर भाजपा जीतती है तो संदेश ये जाएगा कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काम से जनता खुश है। प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के लिए यह मौक़ा अपने प्रदर्शन में सुधार का है। भाजपा ने इस चुनाव में अपना पूरा ज़ोर लगा दिया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ दोनो उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और डॉक्टर दिनेश शर्मा भी मोर्चे पर डटे थे। सरकार के मंत्री और प्रदेश भाजपा संगठन भी प्रत्याशी के पक्ष में लगे रहे।
उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद की टूंडला, अमरोहा की नौगांवा सादात, कानपुर की घाटमपुर, उन्नाव की बांगरमऊ, जौनपुर की मल्हनी और देवरिया की देवरिया सदर और बुलंदशहर की बुलंदशहर सदर सीट पर उप चुनाव के लिए तीन नवंबर को मतदान हुआ था। इसके परिणाम दस नवंबर को आएंगे। इन सात सीटों पर 88 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद हो चुका है।
कोरोना संक्रमण काल में विधानसभा उप चुनाव पहला बड़ा चुनाव है। इसमें जनता ने तमाम बंदिशों के साथ अपने अधिकार का प्रयोग किया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी सात विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रत्याशियों के पक्ष में एक-एक जनसभा की थी। इनके साथ ही समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव तथा बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। सपा ने बुलंदशहर की सीट सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल को सौंपी है। जबकि जिसमें एक साथ कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।