हाथरस/लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) हाथरस की घटना के बाद राज्य में जातिगत संघर्ष के लिए उकसाने की कथित साजिश की जांच करेगी. हाथरस में एक दलित युवती के साथ रेप और हत्या के मामले ने तूल पकड़ लिया था. उसी दौरान पुलिस ने ऐसी साजिश का दावा किया था.
एसटीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि घटना के बाद साजिश रचे जाने के एंगल से जांच कर रही टीम जल्द ही तथ्यों की जांच और सबूत जुटाने के लिए मौका-ए-वारदात पर जाएगी.
बता दें कि बीती 4 सितंबर को हाथरस में एक 19 वर्षीय दलित युवती के साथ कथित तौर पर चार उच्च-जाति के युवकों ने बलात्कार किया था. इस दौरान उसके साथ दरिंदगी की गई थी. पहले उसे इलाज के लिए अलीगढ़ भेजा गया था. जहां से उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रैफर कर दिया गया था. जहां इलाज के दौरान 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी.
एसटीएफ के अधिकारी ने बताया कि “हमें अब तक चार एफआईआर मिली हैं, जिनमें से दो हाथरस, एक अलीगढ़ और एक मथुरा में दर्ज है. हम उन्हें विस्तार से देखेंगे. साथ ही उन चार लोगों की जांच भी की जाएगी, जिन्हें कथित तौर पर पीएफआई से संबंधित बताया गया है. इसके आगे अधिकारी ने कोई अन्य जानकारी देने से इनकार कर दिया.
हाथरस में दलित युवती के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या पर भारी आक्रोश के बीच, यूपी पुलिस ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ लगभग 19 मामले दर्ज किए थे. उन सभी के खिलाफ जातिगत संघर्ष भड़काने के आरोप में राजद्रोह की धारा लगाई गई है. इस मामले से यूपी सरकार की छवि धूमिल हुई है.
यूपी पुलिस ने केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन समेत चार लोगों पर राजद्रोह और अन्य आरोपों में मथुरा के माठ थाने में मुकदमा दर्ज किया था. जिसके दो दिन बाद आरोपियों को हाथरस जाते वक्त गिरफ्तार कर लिया गया था.
प्राथमिकी के अनुसार, चारों के खिलाफ कड़े गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) और आईटी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था. चारों आरोपियों पर पुलिस ने पीएफआई और उसके सहयोगियों के साथ संबंध रखने का आरोप लगाया था. पीएफआई पर इस साल के शुरू में देश भर में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन के लिए आर्थिक सहायता देने का आरोप है. यूपी पुलिस ने इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की थी.