मुंबई। रिपब्लिक चैनल से जारी विवाद के बीच मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के करियर से जुड़े कई खुलासे सामने आए और चर्चा का विषय हैं। इसी कड़ी में अब परमबीर सिंह का नाम शीना बोरा केस से भी जुड़ गया है और पता चला है कि वो शीना बोरा की गुमशुदगी के बारे में भी जानते थे।
शीना बोरा केस सबसे पेचीदा और रहस्यमयी मामलो में से एक है। शीना बोरा के अचानक गायब होने व हत्या का पता चलने की इस घटना को 4 साल बीत गए हैं। बाद में जाकर इस केस में उनकी माँ इंद्राणी मुखर्जी को गिरफ्तार किया गया था। इंद्राणी काफी समय तक शीना को अपनी बहन बताती थीं।
24 अप्रैल 2012 को शीना ने मुंबई मेट्रो वन लिमिटेड कंपनी से छुट्टी ली और छुट्टी लेने के कुछ देर बाद ही उसने ईमेल के जरिए रिजाइन दे दिया। वह अपनी माँ इंद्राणी मुखर्जी (INX मीडिया की पूर्व सीईओ) के पति पीटर मुखर्जी (स्टार इंडिया के पूर्व सीईओ) के बेटे राहुल मुखर्जी के साथ रिलेशन में थीं। इंद्राणी हमेशा उन्हें लेकर कहती थी कि वह उनकी बहन हैं।
24 तारीख के बाद शीना कभी किसी को नहीं नजर आईं। माना गया कि उनकी हत्या उसी रात हुई। इंद्राणी व उनके पूर्व पति संजीव खन्ना के ऊपर इसका इल्जाम लगा। कहा जाता है कि हत्या से पहले इंद्राणी ने उस जगह की रेकी भी कर ली थी जहाँ शव को फेंका जाना था। उन्होंने उसके शव को अपने घर वर्ली में भेजा जहाँ उसके शव को कथिततौर पर सूटकेस में भरा गया। अगले दिन उसे मुंबई के नजदीक रायगढ़ ले जाया गया और फिर उस बैग को आग लगा दी गई।
23 मई 2012 को पेन तहसील के ग्रामीणों ने बदबू आने और शव मिलने की शिकायत करवाई। शव ऐसे जला था कि उसको पहचाने जाने का कोई सुराग नहीं मिला। 3 साल बाद जब इंद्राणी का ड्राइवर श्यामवर राय किसी दूसरे केस में फँसा तो उसने शीना बोरा केस का खुलासा किया।
शीना के गायब होने की बात जानते थे परमबीर सिंह
अब रिपोर्ट्स बताती हैं कि 24 अप्रैल 2012 को शीना जब गायब हुई तो राहुल मुखर्जी और इंद्राणी, परमबीर सिंह के पास गए। वह उस समय कोंकण रेंज के आईजी हुआ करते थे। उन्होंने राहुल से शीना के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज करवाने को कहा भी, जिसका मतलब साफ है कि उन्हें शीना की गुमशुदगी की बात पता थी। लेकिन दिलचस्प चीज यह है कि वह रिपोर्ट कभी फाइल ही नहीं हुई।
26/11 और परमबीर सिंह का नाम
पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त हसन गफ्फूर ने कई पुलिस अधिकारियों पर आतंकवादी के ख़िलाफ एक्शन न लेने का इल्जाम लगाया था। हालाँकि परमबीर सिंह ने इसके बाद उन्हें मानहानि के इल्जाम में कानूनी कार्रवाई की धमकी दी थी और खुद का बचाव यह कहकर किया था कि जब वह होटल ताज व ओबरॉय में थे तब कई चैनल ने उन्हें टीवी पर दिखाया। यहाँ बता दें कि 26-11 के दौरान टीवी पर प्रसारण का आतंकियों को बहुत फायदा मिला था।
‘बुरा पुलिस’ कहने पर परमबीर सिंह ने पूर्व मुंबई कमिश्नर से मँगवाई थी माफी
साल 2018 के जुलाई में पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त जूलियो रिबेरो ने एक लेख लिखा था जिसमें बताया गया था कि दो अधिकारी पुलिस आयुक्त की पोस्ट के लिए लड़ रहे हैं। इस आर्टिकल में सिंह का बिना नाम लिए दो प्रतिद्वंदियों को ‘अच्छा पुलिस’- ‘बुरा पुलिस’ कहा था। बाद में ऐसा माना गया था कि इस लेख में जिसे बुरा पुलिस कहा गया वह परमबीर सिंह ही थे। इस लेख पर कार्रवाई करते हुए सिंह ने रिबेरो से माफी मंगवाई थी और उन्हें धमकी भी दी थी।
साध्वी प्रज्ञा के कारण भी आए चर्चा में
परमबीर सिंह अपने करियर में साध्वी प्रज्ञा के कारण भी सुर्खियों में आए थे। उस समय वह एटीएस हुआ करते थे। साध्वी प्रज्ञा ने इल्जाम लगाया था कि उन्हें एटीएस द्वारा यातनाएँ दी गईं ताकि वह ‘भगवा आतंकवाद मामले’ में जुर्म को कबूलें। साध्वी प्रज्ञा ने गंभीर आरोप लगाते हुए यह तक कहा था कि उन्हें गैर कानूनी हिरासत में लिया गया और 13 दिन तक प्रताड़िता किया गया।
अजित पवार को क्लिन चिट देकर बने थे चर्चा का हिस्सा
गौरतलब हो कि परमबीर सिंह 1988 बैच के आईपीएस हैं। फरवरी में उन्हें मुंबई पुलिस आयुक्त चुना गया। इससे पहले वह गैर भ्रष्टाचार ब्यूरों के डीजी हुआ करते थे। वह पिछले साल भी अजित पवार को सिंचाई घोटाले में क्लिन चिट देने के कारण चर्चा में आए थे।