नई दिल्ली। बिहार विधान सभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) में भी प्रत्याशियों के चयन में राजनीतिक दलों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्देशों का कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिखा. चुनाव सुधार के लिए कार्य करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पहले चरण के कुल 1064 प्रत्याशियों में से 328 यानि कि 31 प्रतिशत प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से 244 यानि कि 23 प्रतिशत के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. आइए जानते हैं पार्टी वाइज दागी प्रत्याशियों के आंकड़ें-
आरजेडी (RJD)
बात करें आरजेडी की तो पहले चरण के 41 में से 30 प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं यानि कुल संख्या के 73 प्रतिशत प्रत्याशी दागी हैं. वहीं 22 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
भाजपा (BJP)
इस मामले में भाजपा भी इन पार्टियों से अलग नहीं है. भाजपा के 29 में से 21 यानि 72 प्रतिशत प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से 13 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
एलजेपी (LJP)
एलजेपी के 41 में से 24 प्रत्याशियों के खिलाफ यानि 59 प्रतिशत प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि 20 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
कांग्रेस (Congress)
कांग्रेस के 21 में से 12 प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं यानि कि कांग्रेस के 57 प्रतिशत उम्मीदवार दागी हैं. बात करें गंभीर आपराधिक मामलों की तो कांग्रेस ने ऐसे 9 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं.
जेडीयू (JDU)
वहीं जेडीयू के 35 में से 15 प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि कुल 10 प्रत्याशियों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. यानि कुल 43 प्रतिशत उम्मीदवार दागी हैं.
बसपा (BSP)
बसपा भी बिहार चुनाव मैदान में है. इसके 26 में से 8 यानि कि 31 प्रतिशत उम्मीदवारों के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हैं इनमें से 5 ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये हैं.
महिलाओं से संबंधित अपराध
बिहार विधान सभा चुनाव में सभी पार्टियों के 29 उम्मीदवारों ने महिलाओं के ऊपर अत्याचार से सम्बन्धित मामले स्वीकारे हैं. इन में से 3 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर बलात्कार (आईपीसी-376) से सम्बन्धित मामले घोषित किये हैं.
हत्या से संबंधित मामले
21 प्रत्याशियों ने अपने ऊपर हत्या के मामले स्वीकारे हैं यानि कि इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मामले दर्ज हैं. वहीं 62 प्रत्याशियों ने अपने ऊपर हत्या के प्रयास (आईपीसी-307) से सम्बन्धित मामले घोषित किये हैं.
संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र
बिहार विधान सभा चुनाव 2020 के पहले चरण के लिए 71 में से 61 यानि कि 86 प्रतिशत संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र हैं. इन इलाकों में 3 या उससे अधिक उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं. बता दें कि संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र उन्हें माना गया है जहां 3 या 3 से अधिक उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी, 2020 के अपने निर्देशों में विशेष रूप से राजनीतिक दलों को आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने व साफ सुथरी छवि वाले प्रत्याशी न चुनने के कारण बताने के निर्देश दिए थे. वहीं राजनीतिक दल हर बार निराधार और आधारहीन कारण जैसे- व्यक्ति की लोकप्रियता, अच्छे सामाजिक कार्य, राजनीति से प्रेरित मामले आदि की आड़ में दागी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देते रहते हैं.