बिहार को भले देश के सबसे गरीब राज्यों में शुमार किया जाता हो लेकिन यहां के चुनावी मैदान में उतरे हर दल में धनबलियों, बाहुबलियों की बहार है। पहले चरण के चुनाव में ही 375 उम्मीदवार करोड़पति हैं। जबकि 31 प्रतिशत के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।
राज्य में जहां 1.25 करोड़ परिवार गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) में गुजर-बसर कर रहे हैं, वहीं, बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 71 सीटों के लिए मैदान में उतरे 35 फीसदी यानी 375 उम्मीदवार करोड़पति हैं। यह भी गौरतलब है कि जहां राज्य में प्रति व्यक्ति औसत आय 46,664 रुपये है, वहीं, इस चरण में उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 1.99 करोड़ रुपये है।
इसका खुलासा इस बार यानी वर्ष 2020 के बिहार चुनाव को लेकर बिहार इलेक्शन वॉच एवं एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) द्वारा मंगलवार को जारी अपनी विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में हुआ है। यह भी सामने आया है कि इस चुनाव में शामिल 31 फीसदी यानी 328 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं, 23 फीसदी यानी 244 उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। रिपोर्ट पहले चरण की 71 सीटों पर चुनाव लड़ रहे 1066 उम्मीदवारों में 1064 उम्मीदवारों के शपथ पत्र पर आधारित है। लखीसराय से निर्दलीय प्रत्याशी फूलेना सिंह और सूर्यगढ़ा से राजद प्रत्याशी प्रहलाद यादव के शपथ पत्र स्पष्ट नहीं होने के कारण उसे विश्लेषण में शामिल नहीं किया गया।
राजद के सर्वाधिक 73 फीसदी उम्मीदवार पर हैं आपराधिक मामले
राजद के 41 में से 30 (73 फीसदी) पर सर्वाधिक आपराधिक मामले दर्ज है। वहीं, भाजपा के 29 में 21 (72 फीसदी), लोजपा के 41 में से 24 (59 फीसदी), कांग्रेस के 21 में 12 (57 फीसदी), जदयू के 35 में 15 (43 फीसदी) और बसपा के 31 में 8 (31 फीसदी) उम्मीदवारों के उपर आपराधिक मामले दर्ज हैं। राजद के 41 में 22 (54 फीसदी) पर सर्वाधिक गंभीर अपराध के मामले दर्ज हैं। वहीं, लोजपा के 49 फीसदी, भाजपा के 45 फीसदी, कांग्रेस के 43 फीसदी, जदयू के 29 फीसदी और बसपा के 19 फीसदी उम्मीदवारों पर गंभीर अपराध के मामले दर्ज हैं।
महिलाओं के साथ अत्याचार के 29 आरोपी
महिलाओं के साथ अत्याचार के मामले 29 उम्मीदवारों पर दर्ज हैं, जबकि इनमें तीन उम्मीदवारों पर दुष्कर्म के आरोप हैं। वहीं, 21 उम्मीदवारों ने अपने उपर हत्या के आरोपों की घोषणा शपथ पत्र में की है। 62 उम्मीदवारों ने हत्या के प्रयास के आरोपों की जानकारी दी है। पहले चरण के 71 सीटों में 61 (86 फीसदी) सीटें संवेदनशील हैं जहां तीन या उससे अधिक उम्मीदवारों ने अपने उपर अपराध के मामले की जानकारी दी है।
पांच करोड़ से अधिक की संपत्ति वाले नौ फीसदी उम्मीदवार
रिपोर्ट के अनुसार पहले चरण में पांच करोड़ से अधिक की संपत्ति वाले 93 (नौ फीसदी) उम्मीदवार हैं। जबकि दो करोड़ से अधिक की संपत्ति वाले 123 (12 फीसदी), 50 लाख से दो करोड़ रुपये की संपत्ति वाले 301 (28 फीसदी), 10 लाख से 50 लाख वाले 315 30 (फीसदी), दस लाख रुपये से कम की संपत्ति वाले 232 (22 फीसदी) उम्मीदवार हैं।
राजद में है 95 फीसदी करोड़पति उम्मीदवार
रिपोर्ट के अनुसार राजद में 95 फीसदी, जदयू में 89 फीसदी, भाजपा में 83 फीसदी, लोजपा में 73 फीसदी, कांग्रेस में 67 फीसदी, बसपा में 46 फीसदी उम्मीदवारों के पास एक करोड़ से अधिक की संपत्ति है। वहीं, पहले चरण के उम्मीदवारों के पास औसतन 1.99 करोड़ रुपये की संपत्ति है। जदयू के उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति 8.12 करोड़, राजद के 6.98 करोड़, कांग्रेस के 6.03 करोड़, लोजपा के 4.62 करोड़, भाजपा के 3.10 करोड़ और बसपा के उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति 1.36 करोड़ रुपये है। मोकामा से राजद प्रत्याशी अनंत सिंह के पास सर्वाधिक 68 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। कांग्रेस के बरबीघा से प्रत्याशी गजानन शाही के पास 61 करोड़ और जदयू की अतरी से प्रत्याशी मनोरमा देवी के पास 50 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। जबकि पांच प्रत्याशियों ने अपनी संपत्ति शून्य बतायी है।
43 फीसदी उम्मीदवारों पर देनदारी
रिपोर्ट के अनुसार 43 फीसदी उम्मीदवारों पर देनदारी है। इनमें सर्वाधिक देनदारी राजद के मोकामा से प्रत्याशी अनंत सिंह पर है। उन पर 17 करोड़ 15 लाख रुपये की देनदारी है। राजद के ब्रहमपुर से उम्मीदवार शंभूनाथ यादव पर 13.49 करोड़, डूमरांव से निर्दलीय ददन यादव पर 11.36 करोड़ से अधिक की देनदारी है। दूसरी ओर राजद की संदेश से प्रत्याशी किरन देवी आयकर सर्वेक्षण में सवसे अधिक आय घोषित करने वाली प्रत्याशी है। वहीं, पालीगंज से निर्दलीय राकेश रंजन दूसरे और बांका से रालोसपा के कौशल कुमार सिंह तीसरे सबसे अधिक आय घोषित करने वाले उम्मीदवार है। रिपोर्ट के अनुसार पांच ऐसे उम्मीदवार भी है जिन्होंने 95 लाख से अधिक की संपत्ति की घोषणा की है लेकिन उन्होंने आयकर विवरण घोषित नहीं किया है।
49 फीसदी उम्मीदवार स्नातक या उससे अधिक योग्यताधारी
पहले चरण के विधानसभा चुनाव में 49 फीसदी (522)उम्मीदवार स्नातक या उससे अधिक की योग्यताधारी है। जबकि 43 फीसदी (455) उम्मीदवारों ने अपनी शिक्षा 5 वीं से 12 वीं तक की शिक्षा की जानकारी दी है। 74 उम्मीदवार साक्षर, पांच असाक्षर और सात उम्मीदवारों ने खुद को डिप्लोमा धारक घोषित किया है।
52 फीसदी प्रत्याशी 40 से 60 साल के
पहले चरण में 52 फीसदी (548)प्रत्याशी 40 से 60 साल की उम्र के हैं। 38 फीसदी ( 403) उम्मीदवार 25 से 40 वर्ष के हैं तो 11 फीसदी (112) उम्मीदवार 61 से 80 वर्ष की उम्र के हैं। सिर्फ एक प्रत्याशी की उम्र 82 वर्ष है। इस चरण में 11 फीसदी (114) महिलाएं चुनाव मैदान में हैं।
गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) – 1.25 करोड़ परिवार
बेहद गरीब (अल्ट्रा पुअर) – 10-12.5 लाख परिवार
मध्यम आय वाले -63 फीसदी
उच्च आय वाले -4 फीसदी
बिहार में प्रति व्यक्ति आय – 46,664 रुपये