चीन की खुलेआम धमकी, …तो हम भारत में भड़काएंगे अलगाववादियों का विद्रोह

india pm narendra modi with china president xi jinping   ap 16 oct  2016
बीजिंग। भारत के संग सीमा पर उलझा चीन अब देश के अंदर अलगाववादियों को भड़काने की धमकी दे रहा है। चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने भारत को ताइवान कार्ड खेलने से बचने की सलाह देते हुए कहा कि यदि भारत ने ताइवान की आजादी को समर्थन दिया तो चीन भी उसके कई राज्यों में अलगाववादियों को समर्थन दे सकता है। हालांकि, सच्चाई यह है कि चीन लंबे समय से उत्तर पूर्व में अलगाववादी और उग्रवादी गुटों को हथियार और पैसा देता रहा है। दूसरी तरफ वह कश्मीर में भी पाकिस्तानी एजेंडे को सपोर्ट करता है।

बीजिंग फॉरेन स्टडीज यूनिवर्सिटी में अकैडमी ऑफ रिजनल एंड ग्लोबल गवर्नेंस के सीनियर रिसर्च फेलो लॉन्ग शिंगचुन ने ग्लोबल टाइम्स में लिखे लेख में कहा है कि भारत में कई मीडिया आुटलेट्स ने ताइवान के नेशनल डे का विज्ञापन दिखाया और एक टीवी चैनल ने ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू का इंटरव्यू दिखाया, जिसने उन्हें ताइवान के अलगाववादी स्वर को मंच मिला। इससे चीन में इस बात की चर्चा छिड़ गई है कि भारत के ताइवान कार्ड का जवाब किस तरह दिया जाए।

लॉन्ग शिंगचुन ने आगे कहा कि भारत की ओर से वन चाइना को समर्थन देने और ताइवान की आजादी को समर्थन नहीं देने का ही नतीजा है कि चीन भारत में अलगाववादी ताकतों को समर्थन नहीं देता है। ताइवान और भारत के अलगाववादी एक ही कैटिगरी के हैं। यदि भारत ताइवान कार्ड खेलता है तो इसे बात से अवगत होना चाहिए कि चीन भी भारतीय अलगाववादी कार्ड खेल सकते हैं।

चीन सरकार के मुखपत्र में छपे लेख में कहा गया है कि भारतीय सेना ने कहा है कि वे ढाई फ्रंट युद्ध की तैयारी कर रहे हैं। उनका इशारा पाकिस्तान, चीन और आंतरिक विद्रोह की ओर है। आंतरिक विद्रोह में अलगाववादी ताकतें और आतंकवादी शामिल हैं। लेख में कहा गया है, ”यदि भारत ताइवान की आजादी को समर्थन देता है, तो चीन भी नॉर्थ ईस्ट के राज्यों त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, असम और नगालैंड में अलगाववादी ताकतों को सपोर्ट कर सकता है। चीन सिक्किम में विद्रोह को भी सपोर्ट कर सकता है।”

अखबार लिखता है कि कई राज्य देश की आजादी के बाद जुड़े हैं, लेकिन यहां के लोग खुद को भारतीय नहीं मानते हैं। वे अपना अलग देश चाहते हैं और इसके लिए लड़ रहे हैं। सबसे प्रमुख असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट है। ये हथियारबंद अलगाववादी संगठन भारतीय सेना के अभियानों की वजह से कमजोर पड़ चुके हैं, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं। बाहरी समर्थन के अभाव में उनके लिए आगे बढ़ना मुश्किल है, लेकिन अगर समर्थन होता है, तो यह विद्रोह शुरू करने के लिए सशक्त करेगा।

ग्लोबल टाइम्स ने यह भी कहा है कि इन अलगाववादी ताकतों ने चीन से समर्थन मांगा है, लेकिन कूटनीतिक सिद्धांतों और भारत के साथ दोस्ती की वजह से चीन ने इन्हें जवाब नहीं दिया है। चीन दूसरे देशों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है। एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की मान्यता चीन-भारत राजनयिक संबंधों का आधार है। अखबार ने कहा कि भारत का ताइवान कार्ड खेलना उसके हित में नहीं है। कुछ भारतीय रणनीतिज्ञ, थिंक टैक्स और मीडिया आउटलेट्स चीन को जवाबी कार्रवाई को मजबूर कर रहे हैं। भारत सरकार अब तक चुप रही है, लेकिन कुछ भारतीय आग से खेल रहे हैं। यदि भारतीय राष्ट्रवादी ताइवान में आग भड़काएंगे तो उत्तरपूर्व में अशांति और विद्रोह देखेंगे।