हम काफिर हैं ज़रूर पर आप के शिकार होने वाले काफिर नहीं

दयानंद पांडे

लीगी और जेहादी मानसिकता के जहर में डूबे हुए लोगों , सी ए ए के दंगाइयों के पोस्टर आज भी चौराहों पर लगे हुए हैं। आंख खोल कर देख लीजिए। सी ए ए के समय के दंगाइयों ने हाथरस में भी जातीय दंगा कराने की कोशिश की। पर नाकाम रहे। जस्टिस फॉर हाथरस की वेबसाइट बना कर फंड भी बटोर रहे थे और लोगों को भड़का भी रहे थे। यह पी एफ आई के लोग थे। कल इस बाबत एफ आई आर दर्ज होते ही वेबसाइट बंद कर पी एफ आई के लोग चंपत हो गए हैं। योगी सरकार ने आप जैसे जहरीले लोगों पर लगाम कस दी है। इंतज़ार कीजिए जल्दी ही इन दंगाइयों की गिरफ्तारी होगी। जय भीम , जय मीम का नारा लगा कर समाज में जहर घोलना भूल जाएंगे आप जैसे लोग।

अंबेडकर को कभी पढ़ा है ? नहीं पढ़ा है तो अब से पढ़ लीजिए। अंबेडकर ने बहुत साफ़ लिखा है कि इस्लाम एक अभिशाप है। यह बात अंबेडकर ने पाकिस्तान बनने पर लिखी। और लिखा कि अच्छा हुआ कि पाकिस्तान के बहाने भारत से इस्लाम नाम का अभिशाप गया। इस बाबत अंबेडकर ने पूरी एक किताब लिखी है। अब अलग बात है कि उन को यह नहीं मालूम था कि इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान बनाने वाले जहरीले लोग भी यहीं रह जाएंगे।

हां , सरकार संविधान से ही चलती है। और अगर लीगी , जेहादी मानसिकता में अंधे हो गए हों तो अपना अंधापन दूर कीजिए। और जितनी जल्दी जान लीजिए , उतना बेहतर कि 2014 के बाद कई संविधान संशोधन हो चुके हैं। प्रमुख संविधान संशोधन हैं तीन तलाक का खात्मा , कश्मीर से 370 की विदाई और सी ए ए। जनसंख्या नियंत्रण क़ानून बस बनने ही वाला है। तो सारी पिंगलबाजी और संविधान की आड़ में संविधान से खेलना छूट जाएगा। सारा जेहाद , सारा लीगी जहर आप जैसे लोग भूल जाएंगे। भूसी छूट जाएगी। समय रहते ही संविधान , इस्लाम की हिप्पोक्रेसी से फुर्सत ले लीजिए। आराम मिलेगा। अभी बलरामपुर और आजमगढ़ के बलात्कारियों के खिलाफ कार्रवाई को बर्दाश्त करने के लिए , हिम्मत जुटा कर रखिए। गुड रहेगा। क्यों कि दिल्ली के दंगाई ताहिर हुसैन से भी बुरी दुर्गति होने वाली है इन सब की। फिर और ज़ोर से संविधान-संविधान बोलने की ज़रूरत पड़ेगी। ठीक ?

आप का सारा विरोध ही इस्लामीकरण और जेहाद की बुनियाद पर टिका हुआ है। आप को नहीं मालूम ? कोर्ट को जूते पर तो आप इस्लाम के हिमायती लोग मानते हैं। राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही ले लीजिए। कितने मुसलमानों ने इसे सहज ढंग से स्वीकार किया है ? आप ही अपने दिल पर हाथ रख कर बता दीजिए। गनीमत है कि मोदी , योगी की जोड़ी है नहीं , पूरे देश में अब तक आग लग गई होती। कौन नहीं जानता कि सी ए ए की आड़ में राम मंदिर के खिलाफ जहर निकालने के लिए दंगे हुए।

अच्छा कुख्यात आतंकियों याकूब मेनन और अफजल के मामले को ही ले लीजिए। कोर्ट को जूते पर किन लोगों ने रखा। अफजल की फांसी को ज्यूडिशियल किलिंग किन लोगों ने कहा ? हर घर से अफजल निकलेगा , तुम कितने अफजल मारोगे , नारा किन लोगों ने लगाया ? बुरहान वानी को शहीद हम तो नहीं कहते। ओसामा बिन लादेन की इज्जत अफजाई हम तो नहीं करते। अजमल कसाब की फांसी पर हम तो नहीं कसमसाते। भारत तेरे टुकड़े होंगे , इंशा अल्ला , इंशा अल्ला के नारे भी हम नहीं लगाते। रोहिंगिया और बांगलादेसी घुसपैठियों के लिए हमारी छाती में दूध भी नहीं उतरता। किन की छाती में दूध उतरता है , यह आप नहीं जानते ?

हां , लाखो कश्मीरी पंडितों के बेघर होने पर हमारी छाती में दूध उतरता है। पर आप और आप जैसे लोग खामोश रहते हैं। आतंकियों के समर्थन में खड़े ज़रूर हो जाते हैं। कहिए कि देश के सौभाग्य से मोदी शासन आ गया। जगह-जगह होने वाले आतंकी विस्फोट से फुर्सत मिली है। नहीं इस्लाम के हिमायतियों ने पूरे भारत को सीरिया में तब्दील करने का मंसूबा बना लिया था। याद रखिए इस्लाम ने भारत में ही नहीं पूरी दुनिया को अपने आतंकवाद  के जहर से जहन्नुम बना रखा है।

भारत में आप को अपना इस्लामिक जहर छुपाने के लिए संघ , हिंदुत्व और भाजपा का बहाना मिल जाता है। फ़्रांस , यूरोप , अमरीका आदि में भी क्या संघ , हिंदुत्व और भाजपा के लोगों के कारण ही इस्लामिक आतंकवाद फूल फल रहा है ? मैं कोई सच कहूं तो सवर्ण मानसिकता , ब्राह्मण मानसिकता। गुड है। लेकिन आप इस्लामिक जेहाद में डूब कर बात करें तो कोई कुसूर नहीं। क्यों कि हम काफिर हैं और आप इस्लामिक आतंक के पर्याय। आप को काफिरों को मारने की छूट है। आप का अधिकार है। है न ? तो भूल जाइए यह सब।

हम काफिर हैं ज़रूर। पर आप के शिकार होने वाले काफिर नहीं। सेक्यूलरवाद की हिप्पोक्रेसी का चोंगा नहीं पहनते हम। साफ़ मन से , साफ़ बात करते हैं। इस्लामिक आतंकवाद और जेहाद के खिलाफ हैं हम। उसे नष्ट करना चाहते हैं। आप चाहे सवर्ण कहिए , चाहे ब्राह्मण। इस बेवकूफी के झांसे में नहीं आने वाले हम। क्यों कि हम ब्राह्मण भी हैं और सवर्ण भी। इस में शर्म किस बात की भला ? आप को ज़रूर अपने इस्लाम पर शर्म आनी चाहिए कि भारत समेत समूची दुनिया को जहन्नुम बना रखा है , अपने जेहाद और आतंकवाद के दम पर। मैं आप की जगह होता तो इस बिना पर इस्लाम छोड़ देता। पर आप में यह दम कहां ? आप को तो अभी जय भीम , जय मीम कह कर समाज में जहर घोलना है। समाज को तोड़ना है। आप अपना काम कीजिए। मुझे अपना काम करने दीजिए। जिगर मुरादाबादी कह ही गए हैं :

उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें

मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहाँ तक पहुँचे।