वॉशिंगटन। कोरोना (CoronaVirus) महामारी और भारत जैसे पड़ोसी देशों के साथ बेवजह सीमा विवाद को हवा देने वाले चीन (China) के खिलाफ पूरी दुनिया में गुस्सा बढ़ रहा है. एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि दुनिया के तमाम देशों में बीजिंग को लेकर नकारात्मक धारणा तेजी से विकसित हो रही है.
अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ‘प्यू रिसर्च सेंटर’ (Pew Research Center) के सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश देशों का यह भी कहना है कि कोरोना महामारी को संभालने में चीन नाकाम रहा है. उनकी नजर में यदि चीन ने पर्याप्त कदम उठाये होते, तो कोरोना के कहर का पूरी दुनिया को सामना नहीं करना पड़ता.
फोन पर जाने विचार
प्यू रिसर्च द्वारा जून और अगस्त के बीच 14 देशों में किये गए इस सर्वेक्षण में 14,276 लोग शामिल हुए. कोरोना महामारी के चलते सभी से टेलीफोन पर बातचीत हुई. इस दौरान, अधिकांश लोगों ने किसी न किसी कारण से चीन के खिलाफ गुस्सा प्रकट किया. उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना के हाल के लिए चीन जिम्मेदार है.
ये देश हुए शामिल
सर्वेक्षण में अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, जापान और यूनाइटेड किंगडम शामिल हुए. फ्रांस और इटली को छोड़कर लगभग हर देश में चीन को लेकर गुस्सा देखने को मिला. ऑस्ट्रेलिया में तो 81% लोगों की धारणा चीन के प्रति नकारात्मक रही, जो पिछले साल के मुकाबले काफी ज्यादा है. इसकी मुख्य वजह दोनों देशों के बीच लगातार बढ़ता तनाव है. आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर जांच की मांग की थी, जिसके बाद से चीन उससे नाराज चल रहा है.
ब्रिटेन में भी बढ़ा गुस्सा
ऑस्ट्रेलिया की तरह ब्रिटेन से भी इस बार चौंकाने वाले परिणाम मिले हैं. 2018 के सर्वेक्षण में 49 फीसदी लोगों ने कहा था कि वे चीन को लेकर अच्छी राय रखते हैं और 35% ने नकारात्मक राय प्रदर्शित की थी. लेकिन इस बार 74 फीसदी ब्रिटिश नागरिकों ने चीन को लेकर अच्छी राय व्यक्त नहीं की. इसी तरह, सर्वे में शामिल अमेरिका के 73 और जर्मनी के 71 प्रतिशत लोगों की धारणा भी चीन के प्रति अच्छी नहीं रही.
शी जिनपिंग ने खोया विश्वास
सर्वेक्षण में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Chinese President Xi Jinping) को लेकर भी सवाल पूछे गए और परिणाम उम्मीदों के अनुरूप रहे यानी जिनपिंग लोगों का विश्वास खो रहे हैं. कोरोना महामारी को लेकर दुनिया में हुई चीन की आलोचना के चलते जिनपिंग को लेकर भी लोगों में गुस्सा बढ़ा है. उन्हें लगता है कि वैश्विक मामलों में शी जिनपिंग पर भरोसा नहीं किया जा सकता कि वो कोई सही कदम उठाएंगे. जिनपिंग के कार्यकाल में चीन कोरोना सहित कई कारणों को लेकर दुनिया के निशाने पर रहा है. फिर चाहे वो भारत से सीमा विवाद हो, हांगकांग में प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई या शिनजियांग प्रांत में वीगर मुस्लिमों का उत्पीड़न.