हाथरस/लखनऊ। हाथरस कांड में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मंगलवार को हफलनामा दाखिल कर कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए CBI जांच के आदेश दे दिए गए हैं. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से CBI जांच की निगरानी करने के लिए भी कहा है. साथ ही योगी सरकार ने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि पुलिस ले पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार रात में इसलिए कर दिया, क्योंकि दिन में हिंसा भड़कने की आशंका थी. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हाथरस कांड को जातिवादी मुद्दा बनाया जा रहा है इस बाबत इंटेलिजेंस इनपुट मिला थी. खुफिया एजेंसियों ने पीड़िता के अंतिम संस्कार में लाखों प्रदर्शनकारियों जमा होने की आशंता जताई थी.
सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट देकर योगी सरकार ने हाथरस कांड की आड़ में राज्य सरकार को बदनाम करने की साजिश के बारे में भी बताया है. हलफनामे के मुताबिक ”जस्टिस फॉर हाथरस” नफरत भरा कैंपेन चलाया गया, कुछ लोग अपने हितों के लिए निष्पक्ष जांच को प्रभावित करना चाहते हैं. उधर, हाथरस कांड में जांच के लिए बनाई गई SIT ने पीड़िता के गांव बुलगढ़ी में वारदात वाली जगह का मंगलवार सुबह एक बार फिर जायजा लिया. ऐसा अनुमान है कि SIT अपनी रिपोर्ट बुधवार को शासन को सौंप देगी. आपको बता दें कि हाथरस कांड में हाई लेवल जांच की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस एसए बोबडे की बेंच सुनवाई करेगी.
सोशल एक्टिविस्ट सत्यम दुबे, वकील विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की है कि हाथरस केस को दिल्ली ट्रांसफर कर सीबीआई या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड या मौजूदा जज या फिर हाईकोर्ट के जज की निगरानी में करवाई जाए. याचिकाकर्ताओं का आरोप है, ”उत्तर प्रदेश पुलिस-प्रशासन ने आरोपियों के खिलाफ सही कार्रवाई नहीं की है. पीड़िता की मौत के बाद पुलिस ने जल्दबाजी में रात में ही शव जला दिया और कहा कि परिवार की सहमति से ऐसा किया गया. लेकिन, यह सच नहीं है, क्योंकि पुलिसवाले ने खुद चिता को आग लगाई और मीडिया को भी नहीं आने दिया था.”
क्या है पूरा मामला?
हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र के बुलगढ़ी गांव में बीते 14 सितंबर को 19 वर्षीय दलित युवती से कथित गैंगरेप की वारदात सामने आई थी. इस मामले में गांव के ही 4 युवकों पर आरोप लगा है, सभी गिरफ्तार कर लिए गए हैं. दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता की 29 सितंबर को मौत हो गई थी. इस मामले में चारों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं. हालांकि, पुलिस का दावा है कि दुष्कर्म नहीं हुआ था. यूपी सरकार ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय SIT गठित की. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले में CBI जांच की सिफारिश भी कर दी है. पीड़िता का शव जल्दबाजी में जलाने और लापरवाही बरतने के आरोप में हाथरस एसपी और डीएसपी समेत 5 पुलिसकर्मी सस्पेंड किए गए हैं.