राजेश श्रीवास्तव
यूं तो उत्तर प्रदेश में कई बार दुराचार की घटनाएं भी हुईं, हत्या भी हुईं लेकिन हाथरस मामले में भारतीय जनता पार्टी के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आखिर अपनों के ही निशाने पर आ गये तब जाकर उन्हें यह एहसास हुआ कि उनसे गलती हुई और उन्होंने सुबह का भूला अगर शाम को वापस आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते, इस पर अमल करते हुए शनिवार को ताबड़तोड़ फैसले किये। पहले 27 घंटे की पाबंदी हटाते हुए उन्होंने मीडिया को परिजनों से मिलने की इजाजत दी। फिर एक घंटे बाद ही अपने सबसे करीबी अपर प्रमुख सचिव गृह अवनीश अवस्थी और पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी को पीड़िता के घर रवाना किया। फिर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भी परिजनों के घर जाने की इजाजत दे दी। यही नहीं, देर शाम सीबीआई जांच की सिफारिश भी कर दी। आपको बता दें दरअसल 2०17 में सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार कठोर फैसले लेते रहे और उनके फैसलों पर किसी ने सवाल नहीं उठाया, कम से कम उनकी पार्टी तो पूरी तरह उनके साथ खड़ी रही। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।
पहले दिन ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे बातचीत की और घटना की कठोर जांच के आदेश दिये। उसके बाद केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले ने प्रदेश के हाथरस कांड को महाभयंकर घटना बताया और कहा कि योगी सरकार उसे ठीक से नियंत्रित नहीं कर पायी। यही नहीं, उनकी ही पार्टी की कद्दावर मंत्री उमा भारती ने कहा कि वह एक दलित परिवार की बिटिया थी। बड़ी जल्दबाज़ी में पुलिस ने उसकी अंत्येष्टि की और अब परिवार एवं गाव की पुलिस के द्बारा घेराबंदी कर दी गयी है। मेरी जानकारी में ऐसा कोई नियम नही है की एसआइटी जाँच में परिवार किसी से मिल भी ना पाये। इससे तो एसाईटी की जाँच ही संदेह के दायरे में आ जायेगी। उमा भारती ने कहा कि हमने अभी राम मंदिर का शिलान्यास किया है तथा आगे देश में रामराज्य लाने क़ा दावा किया है किन्तु इस घटना पर पुलिस की संदेहपूर्ण कार्यवाही से यूपी सरकार और बीजेपी की छवि पे आँच आयी है। उन्होंने यूपी सीएम को कहा,’ आप एक बहुत ही साफ़ सुधरी छवि के शासक है। मेरा आपसे अनुरोध है कि आप मीडियाकर्मियों को एवं अन्य राजनीतिक दलो के लोगों को पीड़ित परिवार से मिलने दीजिये।’ यही नहीं उनकी पार्टी की एक अन्य केंद्रीय महिला मंत्री ने भी हाथरस घटना की निंदा की। दरअसल मुख्यमंत्री जिस तरह से अन्य घटनाओं को अपने हिसाब से लेते थ्ो, उसी तरह उन्होंने इस घटना को भी निबटाने की कोशिश की। लेकिन आपको बताते हैं कि योगी सरकार और उनके अधिकारी लगातार गलतियों पर गलतियां करते रहे। यहां तक कि अभी भी विवादों का सबब बने डीएम खबर लिख्ो जाने तक अपनी कुर्सी पर बने हुए हैं।
हाथरस पुलिस और प्रशासन अगर शुरू से एक के बाद एक गलतियां न करता तो शायद मामला इतना तूल न पकड़ता। केस दर्ज करने से लेकर बेटी का शव जलाने तक, राहुल गांधी और प्रियंका को गांव जाने से रोकने से लेकर गलत बयानबाजी करने तक पुलिस खुद अपने ही जाल में फंसती चली गई। लोगों का कहना है कि इस मामले में एक के बाद एक लगातार गलतियां की गईं। इस घटना में शुरू से ही पुलिस की लापरवाही सामने आ रही है। हाथरस पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई को लेकर शुरू से ही सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि इस मामले में एक के बाद एक लगातार गलतियां की गईं। अगर समय रहते पुलिस और प्रशासन स्थितियां नियंत्रित कर लेता तो बात इतनी न बढ़ती।
पहली चूक : मामूली धाराओं में केस दर्ज करना
पुलिस की पहली गलती मामूली धाराओं में केस दर्ज करना रहा। गैंगरेप के बाद पीड़िता की हालत गंभीर हो गई। उसे बेहोशी हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। 9 दिनों तक उसे होश नहीं आया, लेकिन पुलिस ने सिर्फ मामूली छेड़खानी की धाराओं में केस दर्ज किया। घरवालों का आरोप है कि पुलिस ने बेटी पर जानलेवा हमले की धाराओं तक में केस दर्ज नहीं किया।
दूसरी चूक : मौत के बाद रेप न होने की बात कहना
14 सितंबर को बेटी के साथ घटना हुई थी। इस घटना के बाद लगातार मीडिया और सोशल मीडिया में गैंगरेप की खबरें आ रही थीं। पुलिस ने एक भी बार खंडन नहीं किया कि पीड़िता के साथ रेप या गैंगरेप नहीं हुआ है। 15 दिनों बाद जब पीड़िता की इलाज के दौरान मौत हो गई तो मरने के कुछ ही घंटों बाद पुलिस ने बयान जारी किया कि पीड़िता के साथ रेप की पुष्टि नहीं हुई है।
तीसरी चूक : बेटी का शव आधी रात जलाना
हाथरस पुलिस और प्रशासन ने तीसरी बड़ी गलती की जब गैंगरेप पीड़िता का शव खुद आधी रात जला दिया। पीड़िता के घरवाले हाथरस में शव आने का इंतजार कर रहे थे। बेटी को हिदू रीति-रिवाज से अंतिम विदाई देने की तैयारियां चल रही थीं। आधी रात तक शव घर नहीं आया। रात लगभग साढ़े तीन बजे पुलिस प्रशासन ने लड़की का शव जला दिया। घरवालों को न तो शव दिया गया, न ही उन्हें दाह संस्कार करने दिया गया। इस कारगुजारी से पुलिस प्रशासन पर उंगलियां उठने लगीं।
चौथी चूक : राहुल-प्रियंका को गांव जाने से रोकना
घटना के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पीड़िता के घर जाने के लिए निकले। उन्हें पीड़िता के गांव जाने से रोकने के लिए बॉर्डर सील कर दिया गया। उन्हें यूपी बॉर्डर पर ही रोक दिया गया। यहां वह गाड़ी से उतरकर पैदल चले तो उन्हें पैदल भी नहीं जाने दिया गया। लोगों ने सवाल उठाया कि अगर पुलिस गलत नहीं है तो वह राहुल-प्रियंका को पीड़ित परिवार से मिलने क्यों नहीं दे रहे। अगर वे परिवार से जाकर मिल लेते तो उससे क्या हो जाता?
पांचवीं चूक : डीएम की गलत बयानबाजी
हाथरस डीएम प्रवीण कुमार के बयानों को लेकर लोगों में गुस्सा है। जिस दिन पीड़िता की मौत हुई डीएम ने पीड़ित परिवार को दिए गए मुआवजे को लेकर बयान जारी किया। उन्होंने हिसाब दिया कि पीड़ित परिवार को इतनी आर्थिक सहायता दी जा चुकी है और इतनी दी जानी बाकी है। इस बयान पर लोगों ने उनकी आलोचना की। लोगों ने कहा कि पीड़िता की मौत का हिसाब डीएम रुपयों से कर रहे हैं। इसके बाद गुरुवार को डीएम पीड़िता के घर गए और उसके परिवार से बातचीत का वीडियो वायरल हुआ। आरोप है कि इस वीडियो में डीएम परिवार को धमकी देते नजर आ रहे हैं।