बाबरी ध्वंसः 28 साल, 32 आरोपी लेकिन 2300 पन्ने के फैसले में सारे बच गए

लखनऊ। बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में बुधवार को लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने कहा है कि साजिश के तहत ढांचा नहीं गिराया गया था, बल्कि वह घटना अचानक हुई थी. ये कहते हुए कोर्ट ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है.

बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में मस्जिद का ढांचा गिराया गया था और इस केस में 49 आरोपी बनाए गए थे. इनमें से 17 की मौत हो चुकी है और बचे हुए 32 आरोपियों पर फैसला आया है.

इन 32 लोगों के खिलाफ था केस

बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, महाराज स्वामी साक्षी, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर को अभियुक्त बनाया गया था. इन पर बाबरी ढांचा गिराने की साजिश के आरोप थे.

इन 32 में से 26 आरोपी आज लखनऊ की सीबीआई विशेष अदालत में पेश हुए. जबकि 6 आरोपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोर्ट की कार्यवाही में जुड़े. लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, सतीश प्रधान और नृत्य गोपास दास लखनऊ कोर्ट नहीं पहुंचे.

इन 17 लोगों का हुआ निधन

बाबरी केस के 17 आरोपियों की मौत हो चुकी है. इनमें अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, मोरेश्वर सावें, महंत अवैद्यनाथ, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज, बैकुंठ लाल शर्मा, परमहंस रामचंद्र दास, डॉ. सतीश नागर, बालासाहेब ठाकरे, तत्कालीन एसएसपी डीबी राय, रमेश प्रताप सिंह, महात्यागी हरगोविंद सिंह, लक्ष्मी नारायण दास, राम नारायण दास और विनोद कुमार बंसल का निधन हो चुका है.