लखनऊ । छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के आपराधिक मामले में 28 साल बाद आज अदालत का फैसला आ गया है। अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, एमपी की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, बीजेपी के सीनियर नेता विनय कटियार समेत कुल 32 आरोपियों को बरी कर दिया है। फैसला सुनाते समय जज ने कहा कि पूर्व नियोजित नहीं था विध्वंस, यह घटना आकस्मिक थी।
गौरतलब है कि इस केस की चार्जशीट में बीजेपी के एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह समेत कुल 49 लोगों का नाम शामिल है, जिनमें से 17 लोगों का निधन हो चुका है, बाकि 32 आरोपियों को कोर्ट ने मौजूद रहने के लिए कहा गया था लेकिन 26 आरोपी ही कोर्ट पहुंचे हैं।
बता दें कि कोरोना महामारी और स्वास्थ्य कारणों से कुछ आरोपियों ने ऐसा कर पाने में असमर्थता जताई थी। 92 वर्षीय लालकृष्ण आडवाणी और 86 वर्षीय मुरली मनोहर जोशी ने कथित रूप से पेशी से छूट मांगी थी। उमा भारती कोरोना से पीड़ित हैं और अस्पताल में हैं जबकि कल्याण सिंह का भी कोरोना का इलाज जारी है।
सीबीआई व अभियुक्तों के वकीलों ने करीब आठ सौ पन्ने की लिखित बहस दाखिल की है। इससे पहले सीबीआई ने 351 गवाह व करीब 600 से अधिक दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए हैं। लिहाजा इसके मद्देनजर अदालत का फैसला भी करीब दो हजार पन्ने का हो सकता है। 30 सितंबर, 2019 को सुरेंद्र कुमार यादव जिला जज, लखनऊ के पद से सेवानिवृत्त हुए थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें फैसला सुनाने तक सेवा विस्तार दिया था। विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव के कार्यकाल का अंतिम फैसला 30 सितंबर को होगा। सीबीआई के वकील ललित सिंह के मुताबिक कि यह उनके न्यायिक जीवन में किसी मुकदमे का सबसे लंबा विचारण है। वह इस मामले में वर्ष 2015 से सुनवाई कर रहे हैं।
दोषी तो कितनी बड़ी सजा?
6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरने के बाद फैजाबाद में दो FIR दर्ज कराई गई थी। FIR नंबर 198 लाखों कार सेवकों के खिलाफ थी जबकि FIR नंबर 198 संघ परिवार के कार्यकर्ताओं समेत आडवाणी, जोशी, तत्कालीन शिवसेना नेता बाल ठाकरे, उमा भारती आदि के खिलाफ थी।
बाबरी विध्वंस केस की सुनवाई कर रहे अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस के यादव अगर इस मामले में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार और साध्वी रितंभरा को दोषी ठहराते हैं तो उनको अधिकतम 5 साल की सजा हो सकती है।
अगर कोर्ट यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह, साक्षी महाराज और फिरोजाबाद के तत्कालीन डीएम आरएम श्रीवास्तव को दोषी ठहराएगी तो उन्हें अधिकतम 3 साल की सजा हो सकती है।
बाबरी विध्वंस मामले में आरोपी महंत नृत्य गोपाल दास, राम विलास वेदांती, राम मंदिर ट्रस्ट के चंपत राय, सतीश प्रधान, धरम दास अगर विध्वंस में मामले में दोषी पाए जाएंगे तो उन्हें अधिकतम 5 साल की सजा हो सकती है।
बीजेपी सांसद ब्रजभूषण सिंह, पूर्व विधायक पवन कुमार पांडेय, जय भगवान गोयल और ओम प्रकाश पांडेय को अगर अदालत दोषी ठहराती है तो उन्हें अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती है।
बाबरी विध्वंस केस के आरोपी फिरोजाबाद के सांसद लल्लू सिंह, मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया, आचार्य धर्मेंद्र देव, रामजी गुप्ता, प्रकाश शर्मा, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर और कारसेवकों रामचंद्र खत्री, सुखबीर कक्कर, अमन नाथ गोयल, संतोष दुबे, विनय कुमार राय, कमलेश त्रिपाठी, गांधी यादव, विजय बहादुर सिंह, नवीन भाई शुक्ला को अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती है।