प्रयागराज। प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों के गलत जवाब के बहुतेरे मामले सामने आते रहे हैं। इस परिपाटी को सियासत ने भी अपना लिया है। सरकार को घेरने के लिए राजनीति के बड़े चेहरे तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने में गुरेज नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस की महाचिव व उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा ने शिक्षक भर्ती के बहाने योगी सरकार पर निशाना साधा है। समाजवादी पार्टी शासन की 12460 शिक्षक भर्ती में शून्य पद वाले जिलों के अभ्यर्थियों का दर्द बयां करते हुए उन्होंने मनगढ़ंत बातें लिख डाली। जिस भर्ती में शैक्षिक मेरिट से चयन हुआ उसकी परीक्षा होने व अभ्यर्थियों को अच्छे अंक मिलने तक का दावा किया गया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे पत्र के वायरल होने पर उसे पढ़कर प्रतियोगी भी हैरान हैं। पांच माह में यह दूसरा प्रकरण है, जिसमें प्रियंका वाड्रा के दावे जमीनी हकीकत से कोसों दूर हैं। मई माह में कोरोना आपदा प्रभावित मजदूरों को एक हजार बसें मुहैया कराने के नाम पर उन्होंने सरकार को जो सूची सौंपी उसमें उसमें ट्राली, आटो, स्कूटर आदि के नंबर दर्ज थे।
उत्तर प्रदेश योगी सरकार के सत्ता में आने के पहले ही 12460 भर्ती की पहले काउंसिलिंग हो चुकी थी। सरकार ने 23 मार्च 2017 को चयन पर रोक लगाई थी। अभ्यर्थियों की मांग पर सीएम ने 16 अप्रैल, 2018 को 51 जिलों में करीब पांच हजार नियुक्ति पत्र वितरित कराए। शून्य पद वाले जिलों के अभ्यर्थियों के चयन पर कोर्ट की रोक थी। जिला वरीयता के विवाद को देखते हुए सरकार ने निर्णय लिया कि आगे की सहायक अध्यापक भर्तियों में जिला वरीयता नहीं होगी।
यह था मामला : उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों की 12460 शिक्षक भर्ती दिसंबर 2016 में शुरू हुई थी। प्रदेश के 51 जिलों में पद रिक्त थे, जबकि 24 जिलों में पद नहीं थे। आवेदन शुरू होने पर 24 जिलों के अभ्यर्थियों की मांग पर तत्कालीन बेसिक शिक्षा परिषद सचिव ने आदेश दिया कि पद शून्य वाले जिलों के अभ्यर्थी किसी भी जिले के लिए आवेदन कर सकते हैं। दूसरे जिलों के अभ्यर्थी शैक्षिक मेरिट में ऊपर आए जिससे 51 जिलों के कम मेरिट वाले अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो रहा था। वे अभ्यर्थी कोर्ट पहुंचे और जिला वरीयता को चुनौती दी। ज्ञात हो कि तब चयन की नियमावली में जिला वरीयता का प्रावधान था। कोर्ट ने भर्ती को रद करके जिला वरीयता के आधार पर चयन का निर्देश दिया। दो जजों की पीठ ने इस पर रोक लगा दी। अब यह प्रकरण शीर्ष कोर्ट में विचाराधीन है।