छोटे न्यूक्लियर हथियार बनाने की कोशिश में पाकिस्तान, यह देश चुपके से कर रहा मदद

नई दिल्ली। चीन, पाकिस्तान को छोटे इलाके में तबाही फैलाने वाले टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियार बनाने में मदद करने की तैयारी कर रहा है. टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियार किसी सैनिक ठिकाने या फॉर्मेशन के ऊपर इस्तेमाल किए जा सकते हैं और इनका असर कम इलाके में सीमित होता है. भारतीय सेना से पारंपरिक युद्ध में बुरी तरह पिछड़ने के खतरे से डरा पाकिस्तान अब टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों को हासिल करना चाहता है. भारतीय खुफिया एजेंसियों को मिली खबर के मुताबिक, चीन अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौतों के विरुद्ध पाकिस्तान को न्यूक्लियर हथियार बनाने में मदद कर रहा है. पाकिस्तान के चश्मा, खुशाब और कराची में न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट बनाने में भी चीन मदद कर रहा है.

सूत्रों के मुताबिक, चीनी वैज्ञानिक पाकिस्तान को प्लूटोनियम पर आधारित टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियार बनाने की तकनीक देने की योजना पर काम कर रहे हैं. पाकिस्तान के पास छोटी दूरी तक मार करने वाली हत्फ 9 (नस्र) मिसाइल है जिसे चीनी वीशी रॉकेट सिस्टम की कॉपी करके तैयार किया गया है. नस्र मिसाइल 60 किमी की दूरी तक मार करती है और इसे मोबाइल लॉन्चर सिस्टम के जरिये तेजी से तैनात किया जा सकता है. ये ठोस ईंधन पर चलती हैं, इसलिए इन्हें बहुत कम समय में लॉन्च किया जा सकता है.

माना जाता है कि इसे 2013 में पाकिस्तानी सेना में शामिल किया गया है. इसे बड़े सैनिक हमले को रोकने के लिए एक कारगर हथियार माना जाता है और समझा जाता है कि भारत की तरफ से बड़ी कार्रवाइयों से निबटने के लिए अब इसमें न्यूक्लियर वॉरहेड लगाने की तैयारी है. पाकिस्तान की न्यूक्लियर डॉक्ट्रीन यानि परमाणु हथियारों को इस्तेमाल करने की नीति में लगातार बदलाव किए हैं.

अब पाकिस्तान अपने इलाके में भी न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. अगर वहां दुश्मन के सैनिक दबाव का सामना पारंपरिक तरीके से न किया जा सके. इन बदलावों से पाकिस्तान ने न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल की शर्तों को बहुत लचीला कर लिया है यानि अब ऐसी बहुत सी स्थितियां हैं जिनके सामने आने पर वो न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल करेगा. इसका अर्थ ये है कि अगर भारतीय सेनाएं पाकिस्तान के किसी इलाके में घुस जाती हैं तो उन पर टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल किया जाएगा. ये पाकिस्तान की न्यूक्लियर धमकी का नया पैंतरा है जिसे हासिल करने में चीन उसकी मदद कर रहा है.