नई दिल्ली। चौदह साल पहले 2006 के विधानसभा चुनाव में असम के कांग्रेस नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने जिस बदरुद्दीन अजमल को पहचानने से इनकार कर दिया था. कांग्रेस को वक्त और सियासत ने ऐसी जगह लाकर खड़ा कर दिया है आज कांग्रेस ने उसी बदरुद्दीन अजमल की ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) से गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है.
असम में अगले साल 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने राजनीतिक समीकरण बनाने शुरू कर दिए हैं. बीजेपी को मात देने के लिए कांग्रेस तमाम विपक्षी दलों के साथ मिलकर गठबंधन बनाने की कवायद में जुटी है. पीटीआई के मुताबिक असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा कि एआईयूडीएफ ने महागठबंधन का हिस्सा बनने के लिए तैयार हो गई है जबकि वामपंथी दल भी गठबंधन में शामिल होने के बारे में सैद्धांतिक तौर पर सहमति दे चुके हैं.
उन्होंने कहा है कि आंतरिक चर्चा के बाद इस बारे में वह अंतिम निर्णय करेंगे. कांग्रेस नेता ने बताया कि अन्य छोटे और बीजेपी विरोधी नए दलों ने गठबंधन में शामिल होने की अपनी इच्छा से कांग्रेस को अवगत कराया है, लेकिन इसके बारे में आधिकारिक तौर पर निर्णय करने के बाद घोषणा की जाएगी. वहीं, एआईयूडीएफ के महासचिव अमीनुल इस्लाम ने भी माना है कि उनकी पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई विचार-विमर्श कर चुके हैं और महागठबंधन में शामिल होने का भी फैसला किया गया है.
दरअसल, बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ने बंगाली मुस्लिमों को अपनी पार्टी की ओर खींचा है और अब उसका आधार भी बढ़ गया है. असम के मुस्लिम मतदाताओं के बीच एआईयूडीएफ का अच्छा खासा जानाधार है. यही वजह है कि कांग्रेस को उसके साथ हाथ मिलने के लिए मजबूर होना पड़ा है जबकि, तरुण गोगोई ने कई बार कहा है कि एआईयूडीएफ सांप्रदायिक पार्टी है और वह बीजेपी की टीम बी है. उन्होंने यह भी कहा था कि बदरुद्दीन की पार्टी कांग्रेस के वोट काटने के लिए खड़ी होती है.
दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस और एआईयूडीएफ के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव में ही गठबंधन की नींव पड़ गई थी, उस भक्त भले ही वो एक साथ मिलकर चुनाव न लड़े हों. 2019 के चुनाव में तरुण गोगोई के बेटे गौरव गोगोई के खिलाफ एआईयूडीएफ ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था. इसी का नतीजा था कि गौरव गोगोई कलियाबोर सीट से चुनाव जीत गए. हालांकि, पहले भी ऐसे गठबंधन को लेकर चर्चा हुई है लेकिन कोई आधिकारिक समझौता नहीं हो पाया था, लेकिन अब एक बार फिर गठबंधन के सुर सुनाई दे रहे हैं.
2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी, एजीपी, बीपीएफ और अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ी थी और कांग्रेस अकेले मैदान में थी. यही वजह है कि इस बार कांग्रेस गठबंधन बनाकर चुनावी किस्मत आजमाना चाहती है. एआईयूडीएफ ने भी कहा कि हमें पुराने मतभेद भुलाने होंगे और असम के लोगों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए काम करना होगा. इसका सीधा और साफ मतलब है कि बीजेपी के सामने कांग्रेस ने भी एक मजबूत गठबंधन के साथ मैदान में उतरने की रणनीति अपनाई है.