नई दिल्ली। 135 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी अब उस मुकाम पर पहुंच गई है जहां हर तरफ बिखराव और बगावत ही नजर आती है. लेकिन 24 अगस्त को पूरे देश ने जो देखा, ऐसा घटनाक्रम शायद ही इस दौर में पहले कभी देखा गया हो.
कांग्रेस पार्टी में बड़े बदलाव वाली कुछ नेताओं की चिट्ठी पर जो विवाद हुआ, उस पर मंथन के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई. ये बैठक सात घंटे चली और इस बैठक में पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही आसने-सामने आ गया. कई नेताओं ने अपना पक्ष रखा. तीखी बहस की खबरें भी आईं और अंतत: गरमा-गरमाई के बाद कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी को ही जिम्मेदारी जारी रखने की जिम्मेदारी पर सहमति बनी. लेकिन इससे पहले दर्जनों नेताओं ने अपनी बात रखी. आइए जानते हैं इस बैठक की बड़ी बातें क्या है?
सोनिया गांधी आहत
बैठक का माहौल शुरुआत में ही सोनिया गांधी के वक्तव्य से बन गया था. सूत्रों के मुताबिक बैठक की शुरुआत में ही सोनिया गांधी ने चिट्ठी के संदर्भ में कहा कि वह इस बात से निराश हैं कि गोपनीयता के आश्वासन के बावजूद भी चिट्ठी को मीडिया में लीक कर दिया गया. सोनिया गांधी को 9 अगस्त को चिट्ठी मिली थी, मगर CWC बैठक के एक दिन पहले ही चिट्ठी मीडिया में आ गई.
यही नहीं, अपने भाषण के अंत में भी सोनिया गांधी ने कहा कि वह चिट्ठी से आहत हैं. मगर जो बीत गया सो बीत गया. इसके साथ ही सोनिया गांधी ने चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि आज के बाद से इस तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
बैठक में बाकी नेताओं के तेवर भी बेहद सख्त थे. केसी वेणुगोपाल ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए बागी नेताओं को इशारों-इशारों में साफ कर दिया कि बतौर संगठन महासचिव इस अनुशासनहीनता के लिए एक्शन लेना उनकी ड्यूटी बनती है.
सोनिया गांधी की करीबी रहीं राज्यसभा सांसद अंबिका सोनी ने भी इस बात को आगे बढ़ाया और कहा कि अगर जिले या ब्लॉक लेवल पर कोई पार्टी का अनुशासन तोड़ता है तो उसके खिलाफ एक्शन होता है. इस मसले पर भी मामले की तह तक जाना चाहिए और अनुशासनहीनता के लिए नेताओं पर कार्रवाई होनी चाहिए.
चिट्ठी लिखने वाले नेताओं पर तंज कसते हुए पार्टी के एक नेता ने कहा कि जयचंद का पता लगाना जरूरी है. पंजाब की इंचार्ज आशा कुमारी ने कहा कि अगर चिट्ठी सोनिया गांधी को भेजी गई थी तो वह सार्वजनिक कैसे हो गई इस बात पर जांच होनी चाहिए कि आखिर तक चिट्ठी को लीक करने वाला कौन है?
इसके अलावा रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्र अखबार में छपने का खंडन किया. उन्होंने कहा कि ‘मुझे पता है किसने चिट्ठी संजय झा को दी और किसने एक अखबार को इसकी पूरी जानकारी दी. पार्टी की बात पार्टी के फोरम में होती है ना कि अखबारों में छपने के लिए.’
राहुल गांधी ही मंजिल
बताया जा रहा है राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर लगभग सभी नेताओं ने हामी भरी मगर इसके बावजूद बात आगे नहीं बढ़ाई गई. क्योंकि राहुल गांधी अब भी तैयार नहीं हैं. मगर दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस पार्टी की बैठक में पारित किए गए प्रस्ताव में सोनिया और राहुल गांधी दोनों का जिक्र है. हालांकि, अभी राहुल वायनाड के एमपी हैं पर जिस तरह से राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर विश्वास जताया गया उससे साफ है कि कांग्रेस पार्टी में नेता सिर्फ गांधी परिवार से ही है.
बड़े फेरबदल के आसार
कांग्रेस वर्किंग कमिटी ने सोनिया गांधी को अधिकृत किया है कि वह पार्टी में बड़े फेरबदल कर सकती हैं. जानकार कहते हैं कि यह तो कांग्रेस अध्यक्ष के कार्य क्षेत्र में आता है और अमूमन प्रस्ताव में डालने की जरूरत नहीं पड़ती. सूत्रों की मानें तो इस फेरबदल के जरिए टीम राहुल को और एडजस्ट किया जा सकता है.
व्यक्ति से बड़ा है संगठन
अंबिका सोनी ने बागियों पर निशाना साधते हुए जितेंद्र प्रसाद का जिक्र किया. अंबिका ने कहा कि जितेंद्र प्रसाद सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़े थे, इसके बावजूद उनके बेटे जितिन प्रसाद को सोनिया गांधी ने यूपीए में मंत्री बनाया. अंबिका ने कहा कि वो सोनिया गांधी से बार-बार पूछती थीं कि जो लोग जो पार्टी छोड़ चुके हैं उनको वापस क्यों ले लेती हैं? तो मैडम ने मुझे हमेशा कहा है कि किसी एक व्यक्ति से बड़ी पार्टी है और पार्टी का मान सम्मान, भविष्य बेहद जरूरी है. अंबिका सोनी ने बागियों को लताड़ते हुए कहा कि गुलाम नबी आजाद को सोनिया गांधी ने ही जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाया.
सूत्रों के मुताबिक अहमद पटेल ने एक-एक करके नेताओं को खरी खोटी सुनाई. एक वक़्त पर सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे अहमद पटेल ने गुलाम नबी आजाद से कहा कि वह इतने वरिष्ठ नेता हैं, 10 जनपथ पर उनकी बातचीत हो जाती है तो उनको चिट्ठी का सहारा क्यों लेना पड़ा?
अहमद पटेल ने कहा कि मुझे आश्वासन दिया गया था कि चिट्ठी पर हस्ताक्षर नहीं किए जाएंगे, उसके बावजूद भी आपने चिट्ठी लिखकर भेज दी. मुझे भी गुस्सा आता है, तीन साल तक मैं यूं ही खाली बैठा था, मगर गुस्से में चिट्ठी कौन लिखता है?