अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या मामले की जांच में अब सीबीआइ जुट गई है। जानकारों की मानें तो उनकी मौत के पीछे असली वजह पता करने में इलेक्ट्रॉनिक सुबूतों की अहम भूमिका होगी। घटनास्थल के फोटो, अपार्टमेंट के सीसीटीवी कैमरे के फुटेज, पोस्टमॉर्टम और एफएसएल रिपोर्ट, कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) भी जांच में कारगर साबित होंगे। जांच सीबीआइ को मिलने के बाद मुंबई से लौटी पटना पुलिस की टीम ने चुप्पी साध ली है। वहां से लौटे एक पुलिस पदाधिकारी की मानें तो वे होमवर्क कर मुंबई गए थे, लेकिन जिस तरह वहां की पुलिस जांच रिपोर्ट तक दिखाने से कतरा रही थी, इससे अंदेशा लग रहा था कि जांच की दिशा ही भटका दी गई। जांच करना सीबीआइ के सामने भी चुनौती होगी।
दो-तीन दिन में पुलिस कर लेती अहम गवाह से पूछताछ
सिटी एसपी विनय तिवारी को क्वारंटाइन करने के बाद वहां पहले से मौजूद पटना पुलिस के चारों पदाधिकारी भी पहले की तरह न तो किसी से संपर्क कर पा रहे थे और न ही पूछताछ के लिए कहीं निकल पाए थे। पटना पुलिस की मानें तो उनकी पूछताछ की लिस्ट में सुशांत के दोस्त दीपेश, संदीप, सिद्धार्थ से लेकर चाबी बनाने वाले शामिल थे। पुलिस ने इन सभी का बयान लेने और एक साथ बैठाकर पूछताछ करने की तैयारी की थी। इससे स्पष्ट होता कि आखिर सुशांत को फंदे से लटकते हुए पहले किसने देखा और शव को किसने नीचे उतारा। पुलिस सिद्धार्थ का बयान भी टीवी में देख चुकी थी। उसे नोट कर लिया था। इस कारण पटना पुलिस ने पहले सिद्धार्थ और दीपेश को नोटिस भेजकर थाने पर बुलाया था। सुशांत की पूर्व मैनेजर दिशा की मौत के मामले की थाने से फाइल मांगने पर मुंबई पुलिस की बातचीत की शैली भी बदल गई और जांच अधूरी रह गई। पटना पुलिस के अधिकारी का दावा था कि दो-तीन दिन में इन चारों का बयान भी दर्ज हो जाता।
सूत्रों की मानें तो पटना पुलिस की टीम सुशांत सिंह की पोस्टमॉर्टम जांच रिपोर्ट के लिए कूपर अस्पताल भी गई थी। वहां के दो डॉक्टरों से मिली थी। तब डॉक्टर फोन पर मुंबई पुलिस से बातचीत कर रहे थे। कुछ देर बाद उन्होंने पटना पुलिस को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देने से मना करने के साथ ही कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया। यहां तक कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दिखाने से भी डॉक्टरों ने मना कर दिया।