सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से बॉलीवुड में नेपोटिज्म का मुद्दा चर्चा के केंद्र में है। हाल ही में इस मसले पर करीना कपूर ने भी अपनी राय रखी थी। इसकी वजह से वह आलोचना का शिकार हो रही हैं।
करीना ने बरखा दत्त के साथ बातचीत में नेपोटिज्म पर चर्चा को अजीब बताया है। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि उन्हें किसी भी प्रकार का विशेष फायदा स्टार किड होने के नाते मिला।
इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर करीना कपूर ट्रेंड करने लगीं और लोग उन्हें अपने-अपने तरह से बताने लगे कि कैसे एक स्टार किड होने के नाते ही वह अब तक बॉलीवुड में बनी हुई हैं।
बरखा के यूट्यूब चैनल मोजो स्टोरी पर अपलोड इस इंटरव्यू में करीना कपूर ‘बरादरी प्रोजेक्ट’ पर बात करते हुए उन कारीगरों पर चर्चा कर रही थीं जिनके काम को फैशन क्षेत्र के केंद्र में लाने के लिए नम्रता जकारिया नामक पत्रकार ने इस प्रोजेक्ट को शुरू किया है।
वीडियो लगभग 27 मिनट का है। मगर इस वीडियो 18 मिनट के स्लॉट के आसपास बरखा दत्त करीना कपूर के सामने नेपोटिज्म पर सवाल करती हैं। इसके बाद करीना कहती हैं कि दरअसल लोग स्थिति को समझना नहीं चाहते हैं। वह बस हमलावर रहते हैं। चाहे कोई किसी भी बैकग्राउंड से आता है। उनकी मानें तो यह उनका संघर्ष है जो आज वो बॉलीवुड के नामी सितारों में गिनी जाती हैं। वरना कौन इस इंडस्ट्री में 2 दशक बिता पाता है।
वह कहती हैं, “21 साल तक काम में बने रहना मुझे नहीं लगता नेपोटिज्म से मुमकिन हो पाता है। ये मुमकिन नहीं है। मैं लंबी लिस्ट बता सकती हूँ ऐसे लोगों की जिनके लिए यह आसान नहीं था।”
नेपोटिज्म को उचित ठहराते हुए वह डॉक्टर के बच्चे का उदहारण देती हैं और कहती हैं कि एक डॉक्टर का लड़का भी चाहता है कि वह डॉक्टर बने। इसके बाद बरखा दत्त भी भाई-भतीजावाद को उचित ठहराने के लिए कहती हैं कि वह एक पत्रकार की बेटी हैं और वह भी कई लोगो को जानती हैं जिनके बच्चे भी उसकी प्रोफेशन में हैं। लेकिन उन पर ऐसे हमले नहीं होते।
करीना अपनी बात को बढ़ाते हुए कहती हैं कि उन्हें लगता है स्टार किड्स लोगों के लिए बहुत आसान टारगेट होते हैं। वे इन सबके समाधान के रूप में कहती हैं कि हमें बस काम करते रहना चाहिए। उनका मानना है कि उन्हें नहीं लगता कि उन्हें कुछ भी उनके बैकग्राउंड के कारण मिला। उनकी पहचान बनाने में उनका संघर्ष था। हाँ ये बात और है कि उनका स्ट्रगल उतना दिलचस्प नहीं था जितना कि किसी बाहरी का होता है, जो ट्रेन से जेब में 10 रुपए लेकर आता है। वह कहती हैं कि किसी का संघर्ष दिलचस्प हो सकता है लेकिन उनके पास भी उनकी कहानी है। उनका मानना है कि किसी पर ऊँगली उठाना काफी खराब बात है।
सबसे हैरानी की बात इस पूरी बातचीत में ये होती है कि जब करीना आगे इस बारे में बात करती हैं तो वह नेपोटिज्म के लिए जिम्मेदार दर्शकों को ठहरा देती हैं। वह कहती हैं,”दर्शकों ने ही हमें बनाया है। किसी और ने नहीं बनाया। यही लोग ऊँगली उठा रहे हैं। जिन्होंने स्टार्स के बच्चों को स्टार बनाया। आप जा रहे हो न फिल्म देखने? मत जाओ। किसी ने आपको जबरदस्ती किया है। मैं नहीं समझ पाती। मुझे तो यह चर्चा ही अजीब लगती है।”
वह अक्षय कुमार, शाहरूख खान, आयुष्मान खुराना और राजकुमार राव का उदहारण देकर कहती हैं कि यह सब बाहरी हैं। लेकिन आज सफल इसलिए हैं क्योंकि इन्होंने मेहनत की। ऐसे ही आलिया हो या करीना कपूर, सबने मेहनत की। लोग फिल्म देखते हैं और इंजॉय करते हैं। इसलिए ये दर्शक ही होते हैं जो कलाकार को बनाते हैं और बिगाड़ते हैं।
गौरतलब है कि इस मुद्दे पर चर्चा करने के बाद एक हफ्ते के भीतर करीना कपूर सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रही हैं। लोग कह रहे हैं कि उनकी आने वाली मूवी कोई मत देखो, क्योंकि वह खुद कह रही हैं कि दर्शक उनकी फिल्म न देखने जाएँ।
लोग उनकी पुरानी तस्वीरें शेयर कर रहे हैं जिसमें उन्होंने कठुआ को लेकर अपने हिंदू होने पर शर्म व्यक्त की थी। इसके अलावा कुछ लोग उनके फिल्मों की कमाई को शेयर कर कह रहे हैं कि करीना को ऐसे दावे करने से पहले कि दर्शक ही उन लोगों को बनाते-बिगाड़ते हैं, एक बार अपनी पिक्चरों की कमाई देखने की जरूरत है। अगर वाकई उन्हें दर्शकों ने बनाया होता तो कभी फिल्में फ्लॉप नहीं होतीं।
किसी ने उन्हें नेपो क्वीन कहा तो किसी ने उनकी मूवी न देखने की अपील की। एक यूजर ने उन्हें एक्टिंग में जीरो बताते हुए यह पूछा कि आखिर लोग इन्हें ट्रेंड ही क्यों करवा रहे हैं। इन्होंने ही एक इंटरव्यू में कहा था कि सारा अली खान को अपनी पहली फिल्म के एक्टर को डेट नहीं करना चाहिए।