इम्फाल। मणिपुर में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की अगुवाई वाली भाजपा की सरकार ने ध्वनिमत (voice vote) से विश्वास मत (vote of trust) हासिल कर लिया है। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, बहुमत परीक्षण के दौरान भाजपा के 28 जबकि कांग्रेस के 16 एमएलए मौजूद थे। आठ कांग्रेस विधायक अनुपस्थित थे। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के विश्वास मत हासिल करने के बाद कांग्रेस विधायकों ने सदन की गरिमा को तार तार करते हुए वेल में कुर्सियां फेंकी और प्रदर्शन किया। बता दें कि कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर सोमवार को एक दिन के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था।
इस मौके पर मणिपुर के पूर्व सीएम और सीएलपी नेता ओकराम इबोबी सिंह ने कहा कि मणिपुर में कानून का शासन नहीं है। हम मत विभाजन की मांग कर रहे हैं। भाजपा को यह नामंजूर है। सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर ही बहुत से लोग सरकार को पसंद नहीं करते हैं। बता दें कि कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर सोमवार को एक दिन के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था। बहुमत परीक्षण के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अपने अपने विधायकों को व्हिप जारी करते हुए विधानसभा में मौजूद रहने और पार्टी लाइन के मुताबिक मत देने के निर्देश दिए थे।
मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में तीन विधायकों के इस्तीफे और दल-बदल कानून के तहत चार विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद अब सदन में 53 विधायक हैं। कांग्रेस के विधायक केशम मेघचंद्र सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। बता दें कि भाजपा की अगुवाई वाली सरकार के सामने 17 जून को राजनीतिक संकट उपस्थित हो गया था क्योंकि छह विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया था। हालांकि भाजपा के शीर्ष नेताओं और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा के हस्तक्षेप के बाद नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) के चार विधायक बाद में वापस आ गए थे।