रक्षाबंधन से ठीक पहले भाई के शहीद होने की खबर से बहन राखी बेसुध है, भाई रोहिन के लिये बहन का रो-रोकर बुरा हाल हैस राखी के होठों पर बस एक ही वाक्य है, अब राखी किसकी कलाई पर बांधूगी, जम्मू-कश्मीर के पूंछ के गलोड में रोहिन कुमार के शहीद होने से नवंबर में घप पर बहू लाने की माता-पिता की ख्वाहिश अधूरी रह गई।
राखी की शादी करीब दो साल पहले 2018 में हुई थी, रोहिन साल 2016 में सेना में भर्ती हुए थे, फरवरी में घर आये थे और रक्षाबंधन पर घर ना आने की बात कहकर गये थे, घर वालों ने बेटे की शादी 11 नवंबर को तय की थी, लिहाजा बहन ने डाक के जरिये भाई को राखी भेजी थी, लेकिन रोहिन रक्षाबंधन से ठीक पहले तिरंगे में लिपटकर घर लौटे।
माता कमलेश कुमारी और पिता रसील सिंह को जब से बेटे की शहादत की खबर मिली है, दोनों ने अन्न-पानी छोड़ दिया है, मां बार-बार बेहोश हो रही है, आस-पड़ोस की महिलाएं उन्हें ढांढस बंधा रही हैं, रोहिन की शादी के चलते माता-पिता हमीरपुर बाजार से बीते कुछ दिनों से लगातार खरीददारी कर रहे थे। उन्होने होने वाली बहू के लिये कुछ सामान भी खरीदा था, बहू के लिये शादी का जोड़ा, चूड़ियां और दूसरे जरुरी सामान ले चुके थे, लेकिन माता-पिता की बेटे को दूल्हे के रुप में देखने की हसरत अधूरी रह गई।
पाक की ओर से किये गये युद्ध विराम के उल्लंघन और गोलीबारी में शहीद हुए हमीरपुर जिले के गांव गलोड़ खास के सैनिक रोहिन कुमार का शनिवार को पूरे सैन्य एवं राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। रोहिन के पार्थिव शरीर को उनके चचेरे भाई मोहित कुमार ने मुखाग्नि दी, इस मौके पर कैप्टन रुपेश राठौर के नेतृत्व में सेना की टुक़ड़ी ने सैन्य परंपराओं के मुताबिक शहीद को सलामी देते हुए अंतिम विदाई दी।