संदीप ठाकुर
कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे काे उत्तरप्रदेश की पुलिस और प्रशासन अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर मारने की तैयारी कर चुके थे और उन्हाेंने मार दिया। अब एनकांउटर पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। हर एनकांउटर पर हाेते हैं। इस पर हाे रहे हैं। कुछ दिन मीडिया में हाय ताैबा मचेगी,चैनलाें पर पंचायत बैठेगी और फिर बिना निष्कर्ष पर पहुंचे सब शांत । लेकिन क्या आपने साेचा है कि खादी और खाकी से जबरदस्त सेटिंग कर कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे खाने कमाने के दायरे से निकल कथित 300 करोड़ों की नामी बेनामी संपत्ति का मालिक बन गया था। पुलिस की मिलीभगत से वह रंगदारी, जमीनों पर अवैध कब्जा, प्रोटेक्शन मनी और हाइवे पर चलने वाले ट्रकों का माल लूटना उसका पेशा था। इलाके में उसकी तूती बाेलती थी। नाम ही काफी था। विकास का खौफ ऐसा था कि इलाके के 400 से अधिक फैक्ट्रियों के मालिक एक निश्चित रकम हर महीने उसे दिया करते थे। रंगदारी टैक्स से हर महीने उसकी आमदनी करोड़ो में थी। एक जमाने में माेटर सायकिल पर चलने वाले विकास के पास इनदिनाें गाड़ियाें का जखीरा था। वह खुद अति महंगी बीएमडब्लू से चलता था। विकास के कानपुर के बिकरू गांव में बना उसका आलीशान घर ही 52000 स्क्वेयर फीट में
फैला है।
पुलिस एनकांउटर में अपराधी विकास मारा गया लेकिन वह अपने पीछे कई साै कराेड़ का आर्थिक साम्राज्य छाेड़ गया है। यह साम्राज्य उसने खाैफ और पुलिस गठजाेड़ से खड़ा किया था। काैन सा ऐसा गलत काम था जाे वह नहीं करता था। सूत्रों की मानें तो विकास दुबे कानपुर के बड़े बस मालिकों से रंगदारी वसूला करता था। उसकी काली कमाई का एक प्रमुख जरिया लोगों से सरकारी टेंडर भरवाने और ठेका दिलाना भी था। उसके अधिकांश सरकारी विभागों में अपने खास लोग थे, जिनकी मदद से वो कई लोगों को ठेके दिलाता था। इसमें जितने का काम होता था, उसका 30 से 40 प्रतिशत दुबे के पास पहले ही पहुंचा दिया जाता था। लेकिन उसके काम करने का तरीका बेहद अनूठा था। वह ईमानदारी से उन अधिकारियाें,नेताओं और पुलिस वालाें का हिस्सा दे दिया करता था जाे उसकी डीलिंग में मदद करते थे। पुलिस विकास और उसके करीबियों के बैंक खातों की जांच पड़ताल कर रही है। पुलिस ने उसका मकान ढहा ही दिया है और अब आगे की कार्रवाई के तहत विकास के सभी खाते फ्रीज कराये जाएंगे।
चौबेपुर से कल्याणपुर तक जाने वाले रास्ते और आस पास के 20 किलोमीटर तक के इलाके में विकास दुबे का खौफ उसे रोजना अमीर बनाता चला गया। उसके खौफ
काे बढ़ाने में स्थानीय पुलिस ने उसका हर कदम पर साथ दिया। इसी के बदाैलत इलाके की बेशकीमती जमीन को उसने बंदूक की नाेक पर कौडियों के दाम में खरीदा। सरकारी सूत्राें ने बताया कि विकास और उसके परिवार के नाम करीब 250 बीघा से कम जमीन नहीं हाेगी। वह बिकरु गांव में हजारों स्क्वायर फीट के घर में रहता था। बिकरू गांव में बना उसका घर ही 52000 स्क्वेयर फीट में फैला है। सूत्रों के मुताबिक विकास ने अपनी पत्नी और अपने भाई के नाम ढेरो जमीनें खरीद रखी थी। बिकरू, दिलीपनगर, काशीराम, निवादा में भी उसके और रिश्तेदारों के नाम पर कई प्लाट और खेत हैं। विकास और उसके भाई का लखनऊ के इंदिरानगर में भी मकान हैं। इन मकानों की कीमत भी करीब पांच से सात करोड़ रुपये बताई जा रही है।
चौबेपुर से कल्याणपुर तक करीब 400 फैक्ट्रियों से वो रंगदारी लेता था। हर महीने की 1 से 3 तारीख के बीच उसके गुर्गे वसूली किया करते थे।विकास का खौफ ऐसा था कि इनमें से तमाम फैक्ट्रियों के मालिक विकास दुबे को एक निश्चित रकम हर महीने पहुंचाया करते थे, जिसकी वजह से विकास की हर महीने की आमदनी करोड़ो रुपयों में थी। विकास के पास कानपुर, कानपुर देहात, उन्नाव और लखनऊ मे तमाम संपत्तिया है, लेकिन इनमे से ज्यादातर संपत्तिया बेनामी है यानि किसी औऱ के नाम पर है। इन बेनामी संपत्तियो का पता लगाना पुलिस के लिये बड़ी चुनौती है, क्योंकि जिनके नाम संपत्ति है, उनके मुंह सिले हुये है। यह देखना दिलचस्प हाेगा कि इस कुख्यात के करोड़ों की काली कमाई का हाेगा क्या ?
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