लखनऊ। बिकरु गांव में 2 जुलाई की रात पुलिस वालों पर गोलिया चलवाने वाले गैंगस्टर विकास दुबे को भी एनकाउंटर में गोलियों से भून दिया गया । कानपुर लाते हुए यूपी एसटीएफ की वहीं गाड़ी पलट गई, जिसमें विकास था । हादसे के बाद उसने हथियार छीनकर भागने की कोशिश की, पुलिस ने उसे आत्मसमर्पण करने को कहा लेकिन उसने फायरिंग कर दी । जिसके बाद पुलिस को सेल्फ डिफेंस में गोली चलानी पड़ी और विकास दुबे मारा गया । विकास को कल उज्जैन से गिरफ्तार किया गया था, सवाल ये कि आखिर वो वहां तक पहुंचा कैसे । मामले में पुलिस ने उसके करीबी जय बाजपेयी को हिरात में लिया था । इसी पर पुलिस को शक भी है कि उसने विकास को भागने में मदद की ।
8 सालों में जुटाई अकूत संपति
कौन है ये जय बाजपेयी । चलिए आपको बताते हैं, कानपुर में ब्रह्मनगर निवासी जय, 8 साल पहले तक चाय की दुकान चलाता था। इसके बाद नजीराबाद इलाके की एक प्रिंटिंग प्रेस में 4000 की तनख्वाह पर नौकरी की । प्रिंटिंग प्रेस में नौकरी करने के दौरान ही वह विकास के संपर्क में आया। और फिर उसका ही चेला बन गया । विकास के साथ मिलकर विवादित जमीनों की खरीद-फरोख्त में उसका साथ देने लगा। धीरे-धीरे कर उसने उसका विश्वास पा लिया और बेहद खास आदमी बन गया।
बताया जाता है कि विकास दुबे जय के कहने पर बड़े निवेश करने लगा था । जमीन में पैसे लगाने से लेकर लोगों को ब्याज पर पैसे देने तक के कारोबार शामिल थे। सूत्रों के अनुसार, विकास दुबे की नंबर दो की कमाई को संभालते – संभालते जय खुद भी अकूत संपत्ति का मालिक बन गया। उसके पास कानपुर-लखनऊ रोड पर एक पेट्रोल पंप है । खबर है कि हाल ही में जय ने विकास दुबे के खाते में 15 लाख रुपए ट्रांसफर किए हैं । पुलिस को ऐसा लग रहा है कि जय ने बाजार में जो बड़ी रकम ब्याज पर उठा रखी है, वह विकास दुबे की ही है।
पूरे मामले में जय बाजपेयी की मां प्रसून देवी का पुलिस पर आरोप है कि पुलिस उनके बेटे को फंसा रही है । जिसे पकड़ना चाहिए, पुलिस उसको पकड़ नहीं रही है और बेवजह ही उनके बेटे को परेशान कर रही है। जय की मां के मुताबिक उनके बेटे का किसी भी अपराधी से कोई संबंध नहीं है। हालांकि, जय की तस्वीरें कुछ और ही कहती हैं । जय की मां ये भी नहीं बता पाईं कि उनका बेटा इतने कम समय में इतनी तरक्की कैसे कर गया ।
पड़ोसियों को शक
जय बाजपेयी को लेकर पड़ोसी दबी छुपी जुबान में कई बातें कह रहे हैं, पुलिस का ये भी कहना है कि जो गाड़ियां अज्ञात रूप में मिली वह गाड़ियां जय ने अपने नाम पर क्यों नहीं ली थी। जबकि वो इन गाड़ियों का इस्तेमाल खुद के लिए करता था । पड़ोसियों ने ये तक कहा कि के दोनों भाई अपराधी फितरत के हैं, लोगों से मारपीट करना इनके लिए आम बात है । हालांकि वो किास दुबे से संबंध रखता है ये किसी को नहीं पता था ।