लखनऊ। कानपुर देहात शूटआउट के आरोपी विकास दूबे के करीबियों पर पुलिस का हंटर चल रहा है, विकास के खास गुर्गों में शामिल दयाशंकर को पुलिस ने मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया है, फिलहाल उसे गोली लगी है, तो जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है, दयाशंकर ने बताया कि चौबेपुर पुलिस थाने के बहुत से पुलिस वाले विकास दूबे को पंडित जी कहकर पैर छूते थे, वो जो कहता था, वैसा ही करते थे, उसने पुलिस वालों के नाम भी बताये हैं, लेकिन फिर भी अधिकारी चुप हैं।
चौबेपुर के विकरु गांव में दबिश की सूचना लीक करने वाले विभीषण का तो पता चल चुका है, लेकिन इसमें और कौन-कौन लोग शामिल थे, इस बारे में 5 दिन बीत जाने के बाद भी पता नहीं चल सका है, कार्रवाई के नाम पर पहले एक थानेदार और अब दो दरोगा तथा एक कांस्टेबल को निलंबित किया गया है, कहा जा रहा है कि अधिकारी इस मामले में पुलिस की करतूत पर लीपापोती करने में लगे हुए हैं।
गुरुवार रात पुलिस टीम पर हमला हुआ था, मामले में एक डीएसपी समेत 8 पुलिस वाले शहीद हो गये, दूसरे ही दिन पुलिस वालों को पता चल गया था कि चौबेपुर पुलिस थाने से ही विकास को मुखबिरी की गई थी, मामले में एसपी ग्रामीण को जांच सौंपी गई, हैरानी की बात ये है कि 5 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस मुखबिर तक नहीं पहुंच पाई है, पुलिस सूत्रों के अनुसार मुखबिरी करने वालों के नाम हर कोई जानता है।
जांच के नाम पर अभी तक उनके नाम सामने नहीं रखे गये हैं, ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि क्या पुलिस विभाग अपने लोगों को बचाने की कोशिश कर रही है, वारदात के बाद एसएसपी का कहना था कि चौबेपुर थाने में विकास दूबे को रोजाना आना-जाना रहता था, लगभग सभी पुलिस वाले उनके संपर्क में रहते थे, हालांकि एडीजी जोन जयनारायण सिंह ने कहा कि मुखबिर का पता चल गया है, लेकिन अभी नाम का खुलासा नहीं किया जाएगा।
एफआईआर में नाम क्यों नहीं
खासकर पर चौकी इंचार्ज और कांस्टेबल जिनके मोबाइल जब्त कर लिये गये थे, दो पुलिस वालों की विकास दूबे से बात भी हुई थी, लेकिन अभी तक सिर्फ इन लोगों को सस्पेंड किया गया है, एफआईआर में किसी भी पुलिस वाले का नाम शामिल नहीं किया गया है, जबकि पहले कहा गया था कि जो भी इसमें शामिल होगा, उनके खिलाफ भी हत्या का केस चलेगा।