वाशिंगटन। एक बार फिर चीन पर हमला बोलते हुए अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा कि किसी भी बिना चुने हुई कम्युनिस्ट सरकार की तरह बीजिंग भी दुश्मनों से ज्यादा अपने लोगों के खुले विचारों से अपने डरता है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ साख की समस्या है। वे लोग दुनिया को इस वायरस के बारे में बताने में असफल रहे है और अब लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। चीन कम्युनिस्ट पार्टी का भूटान, हिमालय के पर्वत, वियतनाम में पानी से लेकर सेनकाकू आइलैंड तक सीमा का विवाद है। बीजिंग का सीमाई विवाद खड़ा करने का पैटर्न है। दुनिया को इस धौंस को नहीं सहना चाहिए।
भारत और चीन के सीमा विवाद पर उन्होंने कहा कि मैंने विदेश मंत्री एस जयशंकर से चीन से सीमा विवाद पर कई बार बात की है। चीन ने काफी आक्रमकता दिखाई है और भारतीयों ने जितना हो सकता था, इसका जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि चीन के बहुत ज्यादा ऐसे पड़ोसी नहीं हैं जो यह संतोषजनक रूप से बता पाएं कि उनकी सीमा कहां खत्म होती है और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी इसका सम्मान करेगी। यह निश्चित रूप से भूटान के मामले में सच हैं। पूरी दुनिया को इससे निपटने के लिए एकसाथ आना चाहिए।
माइक पोंपियो ने कहा कि यह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की बढ़ती हुई संशोधनवादी कोशिश है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने इसे अविश्वसनीय रूप से गंभीरता से लिया है। दुनिया ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का असली रंग देखा है। मैं पहले से कहीं ज्यादा आश्वस्त हूं कि दुनिया के आजाद लोग इस खतरे को समझेंगे। दुनिया पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव शी जिनपिंग का प्रभाव स्वतंत्र और लोकतंत्र के लिए बहुत अच्छा नहीं है। हांगकांग को लेकर माइक पोंपियो ने कहा था कि हांगकांग ने अब तक केवल इसलिए प्रगति की क्योंकि वहां सोचने और अभिव्यक्ति की आजादी थी। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने हांगकांग में लोकतंत्र का गला घोंट दिया है।