लखनऊ। कानपुर में कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे के खिलाफ कार्रवाई जारी है. कानपुर में स्थानीय प्रशासन ने विकास दुबे के किले जैसे घर को उसी जेसीबी से मिट्टी में मिला दिया जो पुलिस टीम के घेराव में इस्तेमाल की गई थी. फिर उसकी कारों को जेसीबी के नीचे कुचला गया. उसका लखनऊ का एक मकान है, अब उसे भी गिराने की तैयारी चल रही है.
मगर इस सब के बीच एक बहस पैदा हो गई है कि क्या विकास दुबे का जो घर गिराया गया वो कानून के हिसाब से सही था? विकास दुबे को उसके अपराधों की कड़ी सजा तो मिलनी ही चाहिए लेकिन इस तरह से घर गिराना कितना कानूनी है?
‘आजतक रेडियो’ से बातचीत में इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में वकील अवनी बंसल ने कहा कि एक चीज तो साफ है कि केवल FIR के नाम पर किसी का घर नहीं गिराया जा सकता है. घर गिराने के पहले एक कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाना होता है. किसी भी तरह की प्रॉपर्टी को गिराने से पहले कोर्ट का ऑर्डर होता है तभी घर गिराया जा सकता है. सिर्फ एफआईआर के आधार पर घर गिरा देना हैरान करने वाली बात है. यह सब एक कानूनी प्रक्रिया के तहत होता है.
क्या जमीन अवैध है या जमीन पर घर अवैध तरीके से बना हो तो क्या उसे गिराया जा सकता है? वकील अवनी बंसल कहती हैं कि अगर जमीन अवैध है तो बिना कोर्ट ऑर्डर के घर गिरा ही नहीं सकते हैं. पुलिस को कोई अधिकार नहीं है कि वो अपनी मनमर्जी से किसी का घर या प्रॉपर्टी को गिरा दे.
इस सवाल पर क्या ऐसे मामले पहले भी हुए हैं जहां सुप्रीम कोर्ट या किसी हाई कोर्ट ने कोई आदेश दिया हो? अवनी बंसल ने कहा कि ऐसे मामले अक्सर जिला अदालत में जाते हैं. वैसे ऐसे मामले रेयर ही देखने को मिलते हैं. पुलिस भी ऐसे मामलों में हाथ डालने से पहले सोचती है. क्योंकि अगर कोर्ट का ऑर्डर नहीं या वारंट नहीं है तो आप किसी का घर गिरा कैसे सकते हैं.