टोरंटो। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दवा इजाद करने का दावा किया है जिससे कोविड-19 जैसी सांस की बीमारियों में होने वाली हर तरह की जलन और सूजन को ठीक किया जा सकेगा।
कनाडा की टोरंटो विवि ने विकसित की टैट कारमिल दवा दो छोटे प्रोटीन का कांबिनेशन है
अनुसंधानकर्ताओं ने किया दावा, दवा से जलन और सूजन में लाभ मिलेगा
मौजूदा शोध के मुताबिक बहुत कम मात्रा में इन प्रोटीन में 43 फीसद तक ही विघटन हुआ। अगर वक्त रहते यह दवा दी जाए तो जलन और सूजन से हुई अत्यधिक क्षति में भी लाभ मिलेगा।
कोविड-19 के संक्रमण से साइटोकाइन शरीर को भारी क्षति पहुंचा सकता है
उनका कहना है कि जब शरीर किसी फ्लू जैसे एच1एन1 या कोविड-19 के संक्रमण से शरीर में सूजन व जलन (इनफ्लेमेशन) होता है तो इससे शरीर में साइटोकाइंस की बाढ़ आ सकती है। यह शरीर में तीव्र संक्रमण के प्रति स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है। ऐसे मामलों में साइटोकाइन शरीर को भारी क्षति पहुंचा सकता है। इससे फेफड़े के ऊतकों में छेद होने से लेकर नाड़ी में क्षति होने से लेकर खून के थक्के तक जम सकते हैं। इन कारणों से मरीज की मौत तक हो सकती है।
कार्मिल प्रोटीन के जरिये साइटोकाइन को प्रभावी तरीके से नष्ट कर दिया गया
अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि स्वाभाविक रूप से बने प्रोटीन कार्मिल1 को दूसरे प्रोटीन टैट ने वाहक के तौर पर उसे कोशिका में पहुंचाया है। कार्मिल प्रोटीन के जरिये साइटोकाइन के समूह को प्रभावी तरीके से नष्ट कर दिया गया है।
डब्ल्यूएचओ ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन पर फिर लगाई रोक
विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ ) ने कोविड-19 के मरीजों को मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन और एचआइवी की दवा लोपिनवीर और रिटोनवीर के कंबिनेशन की खुराक देने पर फिर रोक लगा दी है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इस दवा से मृत्युदर में कमी नहीं आ रही है।
दवाओं के इस्तेमाल से कोविड-19 के मरीजों की मृत्युदर में मामूली कमी आई- डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में इन दोनों दवाओं के इस्तेमाल में यह सामने आया है कि इलाज के अन्य मानकों की तुलना में इनसे कोविड-19 के मरीजों की मृत्युदर में मामूली या न के बराबर कमी आई है।
दवाओं के इस्तेमाल पर रोक लगाने का फैसला
संगठन ने कहा कि दवा के परीक्षण पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था की सिफारिश पर इन दवाओं के इस्तेमाल पर रोक लगाने का फैसला किया गया है।