के विक्रम राव
सपरिवार राहुल गाँधी ने नरेंद्र मोदी की लेह यात्रा (4 जुलाई 2020) को प्रचार स्टंट बताया| वे और उनके कांग्रेसी अनुयायी बोले : “यह अचानक यात्रा न तो देश को उत्साहित करती है और न प्रेरणा ही देती है|” अतः राहुल की स्तुति करनी होगी| उन्होंने जाहिर कर दिया कि भारत का असली शत्रु कौन है ? चीन की सेना मात्र नहीं| प्रधान मंत्री मोदी को गिराना देशधर्म हो गया है| सही भी है| सीमा पर दुश्मन घुस आये तो मोदी को विदेश यात्रा पर चले जाना चाहिए था| ऐन चुनाव या पार्टी पर संकट के समय राहुल अक्सर ऐसा ही करते हैं| याद करें जब गत वर्ष भीषण चुनावी पराजय के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देकर वे महीनों देश और पार्टी छोड़ बैठे थे| डोकलाम पर भारतीय सैनिक भूटान बचाने में भिड़े पड़े थे, तब दिल्ली के शांतिपथ-स्थित चीन के दूतावास में रात्रिभोज पर राहुल खाद्य और पेय पर पिले पड़े थे| उसके पूर्व कैलाश यात्रा पर वे चीन की कम्युनिस्ट सरकार के राज्य अतिथि थे|
वस्तुतः इस राजग प्रधानमंत्री पर भारत को खतरे में झोंकने का महाभियोग चलाना चाहिए| लेह में ठंढ बर्दाश्त करना कठिन है, जब यात्री गर्म दिल्ली से आता हो तो और अधिक| कम से कम चौबीस घंटे रुकना चाहिए ताकि शरीर और बाह्य वातावरण का तापमान समायोजित हो| सत्तर साल का वृद्ध जहाज से उतरते ही ठंढे सीमाक्षेत्र में जवानों से तुरंत मिलने चला जाता है| अर्थात जान जोखिम में डालता है| किसने मोदी को ऐसा हक़ दिया? उनकी जिंदगी निजी नहीं, राष्ट्र की धरोहर है| यूं तो लेह में ही डेढ़ सौ बिस्तर वाला अत्याधुनिक फौजी अस्पताल है| बड़ी सर्जरी आदि की जाती है|
अब मोदी बड़े घमंड से कह सकते हैं कि वे सीमा पर गए क्योकि भारतीय जवानों से प्रधान मंत्री का मिलना जरूरी था खासकर यह बताने के लिए कि समूचा राष्ट्र इस युद्ध की बेला पर उनके साथ खड़ा है| हालाँकि मोदी को उन सैनिकों को सूचित भी करना चाहिए था कि कांग्रेस के प्रतीक्षारत प्रधान मंत्री तथा उनकी माताश्री की सोच और कृति इससे भिन्न है|
एक दुर्घटना टल गयी| नियमानुसार खतरनाक सीमाक्षेत्र में कोई अतिथि शिष्ट व्यक्ति जाता है तो पूरी यात्रा दिल्ली वापसी तक गोपनीय ही रखी जाती है| किन्तु मोदी की यात्रा तो सारा देश, सभी टीवी चैनल जानते थे| कहीं कम्युनिस्ट चीन की सीमापार तैनात जनमुक्ति सेना का बम मोदी पर फोड़ दिया जाता तो? तब राहुल गाँधी की अत्यधिक माननीय संवेदनशीलता बड़ी व्यथित होती| उन्हें विशेष चिंता होती कि मोदी की शतवर्षीया माता हीराबेन पर क्या गुजरती?
अंततः एक बात और| राहुल, सोनिया गाँधी तथा उनके कांग्रेसी जो भी बोलें, लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता, पांच बार निर्वाचित अधीर रंजन चौधरी ने कह ही डाला कि “मोदी की लेह यात्रा से भारतीय जवानों का मनोबल बढ़ा है| उनकी उर्जा भी|” मोदी से अधिक खतरा चौधरी साहब उठा रहे हैं, अपनी ऐसी सदइच्छा जताकर| मोदी-स्तुति नेहरु कुटुम्ब को कर्णप्रिय लगेगी ? अब चौधरी साहब अपने दिन गिनना शुरू कर दें|