जम्मू। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर तनाव के बीच प्रशासन ने कश्मीर में सभी तेल कंपनियों को आदेश दिया है कि वह कम से कम दो महीने के लिए एलपीजी का भंडार सुनिश्चित कर लें। वहीं, एक और आदेश में गांदरबल के कुछ स्कूलों को सुरक्षाबलों को ठहराने के लिए प्रशासन को सौंपने के लिए कहा गया है। जम्मू कश्मीर का गांदरबल जिला लद्दाख के कारगिल जिले से लगता है। हालांकि, प्रशासन ने इसके पीछे अमरनाथ यात्रा और मानसून की बारिश से पहले की तैयारियों का हवाला दिया है, लेकिन इन आदेशों ने लोगों के कान खड़े कर दिए हैं।
उमर अब्दुल्ला ने उठाए सवाल
गर्मी के सीजन में पहली बार ऐसा आदेश
दरअसल, राजमार्ग पर भूस्खलन के कारण हर बार परेशानी होती है। सलाहकार ने बैठक में निर्देश दिए थे कि सभी तेल कंपनियां यह सुनिश्चित करें कि कश्मीर में कम से कम दो महीने के लिए एलपीजी गैस की कोई कमी न हो। कश्मीर में गर्मी में इस प्रकार का आदेश पहली बार जारी हुआ है। आमतौर पर ऐसे आदेश सर्दी शुरू होने से पहले जारी होते हैं, जब बर्फबारी के कारण जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हो जाता है।
बरसात में आपूर्ति ठप होने का दिया हवाला
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के सचिव सिमरनजीत सिंह का कहना है कि मानसून की बरसात में जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हो जाता है, जिससे आवश्यक सामान पहुंचाने में परेशानी होती है। एक महीने का भंडार उपलब्ध है। हमने तेल कंपनियों को एक और महीने का भंडार रखने के लिए ही कहा है। इससे कुछ अधिक नहीं है।
स्कूलों को खाली करने के निर्देश
दूसरा आदेश गांदरबल के एसएसपी खलील पोसवाल का है। उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग से मिडिल स्कूल, हायर सेकंडरी स्कूल और आइआइटी की इमारतों को प्रशासन को सौंपने के लिए कहा गया है। इसके लिए हवाला यह दिया गया है कि श्री बाबा अमरनाथ की यात्रा के दौरान सुरक्षा बलों के जवानों को ठहराया जाएगा। वहीं, यह बात देखने वाली है कि अभी तक अमरनाथ यात्रा को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है। यदि यात्रा होती है तो इसकी अवधि बहुत कम होगी। इसीलिए एसएसपी का यह आदेश अहम है और कई मायने रखता है।
युद्ध से न जोड़ें
गांदरबल के एसएसपी खलील पोसवाल ने इस मामले को चीन के साथ युद्ध से जोड़ने को गलत करार दिया है। उनका कहना है कि अमरनाथ यात्रा को लेकर हर साल रुटीन में एक एक्सरसाइज होती है। हर साल इस जिले के स्कूलों में केंद्रीय सुरक्षा बल के जवानों को ठहराया जाता है। इसके बावजूद इन दो आदेशों से कश्मीर में राजनीति गरमाने के साथ-साथ लोगों में भी असमंजस है। लोगों को यह लगने लगा है कि कहीं सरकार युद्ध की तैयारियां तो नहीं कर रही है।