नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के गलवन नदी घाटी में बनी तनावपूर्ण स्थिति में कोई खास बदलाव तो नहीं आया है लेकिन दोनों देशों के बीच बातचीत का क्रम जारी है। मंगलवार को सैन्य स्तरीय वार्ता हुई थी तो बुधवार को दोनो देशों के बीच सीमा विवाद सुलझाने के लिए पहले से की गई एक अन्य व्यवस्था डब्लूएमसीसी (वर्किग मेकैनिज्म फॉर कंसलटेशन एंड कोआर्डिनेशन ऑन इंडिया-चाइना बार्डर अफेयर्स) की बैठक हुई। दोनों देशों के विदेश मंत्रालय के तत्वाधान में हुई इस बैठक में भी हालात के समाधान की कोई सूरत निकलती नहीं दिखी।
सहमति का पालन करे चीन
विदेश मंत्रियों के बीच हुई वार्ता में दोनों ही पक्ष राजी थे कि शीर्ष नेताओं के बीच सीमा पर शांति और सहअस्तित्व को बनाए रखने के लिए जो सहमति बनी है उसका पालन होना चाहिए। इसका पालन करके ही सीमा पर शांति बनाई रखी जा सकती है। चीन के विदेश मंत्रालय ने जो बयान दिया है वह बेहद संक्षिप्त है। इससे यह संकेत मिलते हैं कि चीन इन वार्ताओं को तवज्जो नहीं दे रहा है। वैसे सैन्य स्तर पर विश्वास बहाली के लिए आगे भी दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी रहेगी ताकि सीमा पर शांति बनाई रखी जा सके।
चीनी विदेश मंत्रालय ने फिर दी धमकी
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दोनों ही पक्षों के बीच इस बात पर सहमति बनी है कि शीर्ष नेताओं के बीच और हाल के दिनों में किए गए कई समझौतों के मुताबिक सीमा पर शांति बहाली के लिए जो भी सहमति बनी है उसका पालन किया जाएगा। हालांकि चीन यह कहने से नहीं चूका कि मौजूदा तनाव के लिए भारत जिम्मेदार है और उसे ही तनाव दूर करने की जिम्मेदारी निभानी होगी। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने यह भी कहा कि भारत सीमा पर तनाव पैदा करके बहुत ज्यादा जोखिम मोल ले रहा है जिसके नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं।