IMA ‘हलाल’ पोंजी घोटाले में आरोपित व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विजय शंकर ने बेंगलुरु के अपने आवास पर मंगलवार (जून 23, 2020) को आत्महत्या कर ली। SIT ने विजय शंकर को पिछले साल ₹1.5 करोड की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
विजय शंकर की आत्महत्या की पुष्टि बेंगलुरु पुलिस आयुक्त भास्कर राव ने की है। उन्होंने बताया, “बेंगलुरु के पूर्व डिप्टी कमिश्नर विजय शंकर ने अपने घर पर सुसाइड कर ली है। ये असामान्य मौत है और हम इस मामले पर जाँच कर रहे हैं।”
इससे पहले विजयशंकर को SIT ने ₹4000 करोड़ के आईएमए स्कैम में संलिप्ता पाए जाने के बाद 8 जुलाई को गिरफ्तार किया था। उन्हें इस दौरान बेंगलुरु के परप्पना अग्रहारा जेल में न्यायिक हिरासत में रखा गया था। मगर, एक महीने बाद विशेष अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी।
इस मामले के संबंध में पिछले साल 30 अगस्त को सीबीआई ने 3 एफआईआर दायर की थी। इनमें से एक में जाँच एजेंसी ने आईएमए संस्थापक मंसूर खान समेत 19 लोगों को आरोपित बनाया था। विजय शंकर का नाम तीसरी एफआईआर में था।
बता दें कि शुरुआत में कर्नाटक सरकार ने विजयशंकर और एलसी नागराज को IMA घोटाले की छानबीन के लिए जाँच अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया था। लेकिन सीबीआई ने पाया कि इन्होंने तो अपनी रिपोर्ट आईएमए के समर्थन में दी, जिसके कारण हजारों लोगों का रुपया डूबा।
पूछताछ में दोनों ने स्वीकारा कि उन्होंने आईएमए निदेशकों से घूस ली थी। विजयशंकर को इस काम के लिए 1.5 करोड़ रुपए मिले थे। 11 जून 2020 को सीबीआई ने राज्य सरकार से विजय शंकर व दो अन्य अधिकारियों के ख़िलाफ़ पोंजी घोटाले में मुकदमा चलाने का अनुरोध किया।
IMA हलाल निवेश घोटाला
आईएमए की हलाल पोंजी स्कीम को आईएमए ग्रुप के संस्थापक मोहम्मद मंसूर खान व उसके साथियों द्वारा संचालित किया जा रहा था। इसके तहत निवेशकों से वादा किया गया था कि उनका पैसा इस्लामी तरीके से निवेश करके उन्हें उच्च रिटर्न दिया जाएगा। इसी लालच में कम से कम 40 हजार निवेशकों ने अपने पैसे लगाए और 4000 करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले को अंजाम दिया गया।
ये केस कर्नाटक में धोखाधड़ी के मामलों में सबसे बड़े केसों में से है। इसके कारण 40,000 से ज्यादा लोगों का नुकसान हुआ। लोगों को ज्यादा रिटर्न का लालच देकर फँसाया गया। सच्चाई पता चलने के बाद करीब 41000 शिकायतें IMA संस्थापक के ख़िलाफ़ दर्ज हुईं और मंसूर खान को गिरफ्तार किया गया। इस पूरे मामले में BZ जमीर अहमद खान और पूर्व विधायक रोशन बेग जैसे कुछ कॉन्ग्रेस नेताओं का भी नाम सामने आया था। इसके कारण यह केस हाई प्रोफाइल केस बन गया था।