दयानंद पांडेय
सुप्रीम कोर्ट ने अभी अपने एक फ़ैसले में साफ़ कह दिया है कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। कृपया मुझे यह कहने की अनुमति दीजिए कि आरक्षण हमारी सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में बहुत बड़ा कोढ़ है। इस से जितनी जल्दी मुक्ति पा ली जाए बेहतर है। वह तो कहिए कि यह कोरोना काल है नहीं सुप्रीम कोर्ट के इस कहे पर कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है , जातीय नफरत और आरक्षण की बैसाखी पर जीवन जीने वाले लोगों ने अब तक देश भर में आग लगा दी होती।
मिसाल के लिए आप बिहार को देखिए । बिहार बोर्ड क्या पैदा करता है , गणेश और रूबी राय जैसे फर्जी टापर । लेकिन उसी बिहार में आनंद का कोचिंग आई आई टी में अपने सारे बच्चे भेज देता है । बिहार के एक गांव के बच्चे भी आगे आए हैं । तो क्या सरकारी स्कूलों के भरोसे ? देश के सारे प्राइमरी स्कूल हाथी के दांत बन कर सिर्फ़ हमारे टैक्स का पैसा चबा रहे हैं , प्रोडक्टिविटी शून्य है । यही हाल देश के सारे सरकारी प्राइमरी हेल्थ सेंटरों का भी है । यहां डाक्टर सिर्फ़ वेतन लेते हैं , इलाज नहीं देते । अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिर्फ़ सरकार के भरोसे रहे तो क्या कहीं कोई आ जा पाएगा ? जातीय आरक्षण ने सिर्फ़ समाज में ही आग नहीं लगाया है , देश के विकास को भी भाड़ में डाल दिया है । आप चले जाईए किसी सरकारी आफिस में । और किसी आरक्षित वर्ग के किसी अधिकारी , कर्मचारी से करवा लीजिए कोई काम । नानी याद आ जाएगी , काम लेकिन नहीं होगा । बिना रिश्वत के नहीं होगा । या पूछ लीजिए किसी सवर्ण अधिकारी या कर्मचारी से कि क्या वह आरक्षण समुदाय के लोगों से काम ले पाता है ? या यह लोग काम जानते भी हैं ? जानते भी हैं तो क्या करते भी हैं ? बहुत सारे सवाल हैं । जो हर सरकार में अनुत्तरित हैं , रहेंगे ।
सरकारी नौकरियों , उपक्रमों से यह जातीय आरक्षण हटाने की हिम्मत अब किसी भी सरकार में नहीं है । सो आरक्षण खत्म करने का सिर्फ़ एक ही रास्ता है सभी उपक्रमों और सेवाओं का निजीकरण । देखिएगा तब देश के विकास की रफ़्तार चीन से भी तेज हो जाएगी । लिख कर रख लीजिए । बस एक ध्यान सर्वदा रखना पड़ेगा कि निजीकरण में संस्थाएं लूट का अड्डा नहीं बनें । उन पर पूरी सख्ती रहे । यकीन मानिए अगर ऐसा हो गया तो यह जो जातियां आरक्षण के नाम पर , उस की मांग में आए दिन देश जलाती रहती हैं , यहां वहां आग लगा कर देश की अनमोल संपत्ति नष्ट करती रहती हैं , इन पर भी अपने आप लगाम लग जाएगी । जब सब जगह प्रतिद्वंद्विता आ जाएगी तो यह लोग आरक्षण मांगना , अरे आरक्षण शब्द भूल जाएंगे । नहीं , यह लोग आरक्षण के नाम पर ऐसे ही देश को ब्लैकमेल करते रहेंगे , आग मूतते रहेंगे , देश जलाते रहेंगे । और मुफ्त की मलाई काटते रहेंगे । उठिए और जागिए । देश को तरक्की के रास्ते पर ले चलने का सपना देखिए , देश को जलने से बचाईए । देश को निजीकरण की राह पर लाईए ।