मुंबई। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार में दरार अब साफ दिख रही है। राहुल गाँधी और बालासाहेब थोराट के बाद अब कॉन्ग्रेस के एक और बड़े नेता ने इस पर मुहर लगाई है। राज्य के कैबिनेट मंत्री और पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने माना है कि गठबंधन सरकार में अनबन है। अशोक चव्हाण ने गठबंधन सरकार में तकरार के लिए ब्यूरोक्रेट्स को जिम्मेदार ठहराया है।
साथ ही चव्हाण ने कहा कि जल्द ही इस मुद्दे को शिवसेना सुप्रीमो और सीएम उद्धव ठाकरे के सामने उठाया जाएगा। चव्हाण ने कहा, “हाँ, महा विकास अघाड़ी के घटक दलों और ब्यूरोक्रेसी के बीच कुछ मुद्दे हैं। हम इस पर सीएम के साथ चर्चा करेंगे। हम सीएम ठाकरे से मिलने की कोशिश कर रहे हैं। हम उनके सामने सभी मुद्दों को विस्तार से उठाएँगे। हम अगले दो दिन में मीटिंग की उम्मीद कर रहे हैं।”
There are some issues (between the Mahavikas Aghadi (MVA) allies and bureaucracy). We are trying to meet the CM to discuss all our issues with him in detail. We expect a meeting with him in the next 2 days: Maharashtra Minister and Congress leader Ashok Chavan
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गौरतलब है कि इससे पहले प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री बालासाहेब थोराट ने भी इसी तरह का बयान दिया था। उन्होंने कहा था, “महा विकास अघाड़ी के सहयोगियों में कुछ मुद्दे हैं, जिनका समाधान बातचीत से निकल आएगा। लेकिन हम यह कहना चाहते हैं कि कॉन्ग्रेस को सरकार के निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधिकार मिलना चाहिए।”
शनिवार (जून 13, 2020) को RPI के नेता रामदास आठवले ने महाराष्ट्र सरकार को समर्थन देने को लेकर कॉन्ग्रेस को एक बार फिर विचार करने की नसीहत दी थी। आठवले ने कहा था, “कॉन्ग्रेस वह पार्टी है जिसके समर्थन से यह सरकार चल रही है। अगर उसे गठबंधन में अहमियत नहीं मिल रही है तो उसे सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा बने रहने के बारे में सोचना चाहिए।”
इससे पहले कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने कहा था कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र में निर्णय लेने की भूमिका में नहीं है। उन्होंने कहा था कि सरकार चलाने और राज्य में सरकार का समर्थन करने के बीच अंतर है। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस को पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों में निर्णय लेने वाली भूमिका में माना जा सकता है, लेकिन महाराष्ट्र में नहीं।
प्रदेश कॉन्ग्रेस के एक नेता के मुताबिक मुख्यमंत्री NCP के अध्यक्ष, शरद पवार से कोविड-19 वैश्विक महामारी और चक्रवात ‘निसर्ग’ से प्रभावित लोगों को राहत देने समेत अन्य कई मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इससे ऐसी भावना पैदा हो रही है कि प्रदेश कॉन्ग्रेस को अलग-थलग कर दिया गया है।
वहीं कॉन्ग्रेस के एक अन्य मंत्री ने कहा, “कुछ मुद्दों को लेकर पार्टी के अंदर नाराजगी है, जिस पर हम मुख्यमंत्री के साथ चर्चा करना चाहते हैं और उन्हें सुलझाना चाहते हैं।” पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा कि जब पिछले साल नवंबर में तीन दलों की सरकार बनी थी और मंत्री परिषद ने शपथ ली थी, उस वक्त यह फैसला हुआ था कि सत्ता एवं जिम्मेदारियों में बराबर साझेदारी होगी।
गौरतलब है कि गठबंधन की तीन सहयोगियों में से एक कॉन्ग्रेस निर्णय लेने की प्रक्रिया और अहम बैठकों में खुद को शामिल कराने का प्रयास कर रही है। प्रदेश कॉन्ग्रेस के नेताओं ने इस हफ्ते की शुरुआत में मुलाकात कर यह चर्चा की थी कि पार्टी नेताओं एवं मंत्रियों को गठबंधन सरकार में निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री के करीबी सहयोगी मिलिंद नारवेकर भी कॉन्ग्रेस नेतृत्व के विचारों को जानने के लिए इस बैठक में मुख्यमंत्री के दूत के रूप में उपस्थित थे।